ग्राम रोजगार सेवक रामप्रसाद यादव की संपत्ति में बेतहाशा बढ़ोत्तरी ने भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया है। जानिए कैसे पत्नी के नाम पर बनाई करोड़ों की संपत्ति और कब होगी प्रशासनिक जांच।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट(कर्वी)। सदर ब्लॉक की ग्राम पंचायत इटखरी में तैनात ग्राम रोजगार सेवक रामप्रसाद यादव, जो वर्ष 2005 में नियुक्त हुए थे, आज करोड़ों की संपत्ति के मालिक बन चुके हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर एक साधारण नौकरी करने वाला व्यक्ति कैसे इतनी बड़ी संपत्ति का स्वामी बन गया?
नियुक्ति के बाद शुरू हुआ भ्रष्टाचार का खेल
रामप्रसाद यादव की नियुक्ति वर्ष 2005 में तत्कालीन ग्राम प्रधान सूरजपाल विश्वकर्मा के कार्यकाल में हुई थी। इसके तुरंत बाद उनके भ्रष्टाचार के मामले सामने आने लगे। वर्ष 2010 से 2015 के बीच, जब ग्राम प्रधान शिवशंकर यादव थे, उस दौरान उन्होंने लाखों रुपए की चल-अचल संपत्ति अर्जित की।
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2015 में बढ़ा भ्रष्टाचार, प्रधान को गंवानी पड़ी कुर्सी
इसके बाद 2015 में छितानी वर्मा के प्रधान बनने पर भी अनियमितताओं का दौर जारी रहा। घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते छितानी वर्मा को अपनी प्रधानी गंवानी पड़ी। इसके पश्चात ग्राम पंचायत में एक समिति गठित की गई, लेकिन ग्राम रोजगार सेवक रामप्रसाद यादव ने समिति के साथ मिलकर भारी भ्रष्टाचार किया।
पत्नी के नाम पर संपत्तियों की खरीद
आश्चर्यजनक रूप से, रामप्रसाद यादव के पास नाममात्र की डेढ़ बीघा जमीन है और कोई अन्य आय का स्रोत भी नहीं है। फिर भी उन्होंने अपनी पत्नी सुनीता यादव के नाम पर जमीन खरीदी और आलीशान मकानों का निर्माण कराया। कसहाई, शिवरामपुर और हनुमान धारा के आसपास उनके बहुमूल्य मकान मौजूद हैं, जिनकी वैधता पर सवाल उठ रहे हैं।
कब होगी निष्पक्ष जांच?
अब यह सवाल जिले के प्रशासन के सामने है कि रामप्रसाद यादव के भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच कब होगी? यदि सही तरीके से जांच की जाए, तो एक बड़े भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सकता है। स्थानीय लोग प्रशासन से जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।