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कृषि

अब यूपी की थाली में दाल भी भरपूर होगी और तेल की धार भी पतली नहीं पड़ेगी

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की नीतियों से दलहन और तिलहन उत्पादन में आई बड़ी बढ़ोतरी

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रिपोर्ट: नौशाद अली

लखनऊ। उत्तर प्रदेश अब आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है, खासकर दलहन और तिलहन उत्पादन के क्षेत्र में। योगी सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के सकारात्मक परिणाम अब ज़मीन पर दिखने लगे हैं। पिछले आठ वर्षों में राज्य में दलहन उत्पादन करीब ढाई गुना और तिलहन उत्पादन डेढ़ गुना तक बढ़ चुका है।

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आंकड़ों की जुबानी सफलता की कहानी

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016-17 में जहां दलहन का उत्पादन 23.95 लाख मीट्रिक टन था, वहीं 2024-25 तक यह बढ़कर 35.18 लाख मीट्रिक टन हो गया है। इसी प्रकार, तिलहन उत्पादन इसी अवधि में 12.40 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 29.20 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में प्रदेश दलहन और तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकता है।

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सरकार की रणनीति और योजनाबद्ध प्रयास

यह उपलब्धि महज़ संयोग नहीं, बल्कि एक सुव्यवस्थित रणनीति का परिणाम है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर कृषि विभाग ने दलहन और तिलहन उत्पादन के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई। वर्ष 2027 तक इस योजना पर 236 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें निःशुल्क मिनीकिट वितरण, प्रगतिशील किसानों के खेतों पर प्रदर्शन और किसान पाठशालाओं के माध्यम से उन्नत खेती की जानकारी देना शामिल है।

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अब तक उपलब्धियां

  • 46.33 लाख से अधिक मिनीकिट का वितरण
  • किसानों को अनुदान पर उन्नत बीज की आपूर्ति
  • कृषि जलवायु के अनुसार बीजों का चयन
  • सहफसली खेती को प्रोत्साहन

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खेती को बनाएं देखने और सीखने का माध्यम

किसानों को प्रायोगिक तौर पर उन्नत खेती की जानकारी देने के लिए फील्ड डेमोंस्ट्रेशन पर विशेष ज़ोर दिया गया है। ‘मिलेनियम फार्मर्स स्कूल’, कृषि मेले और राज्य स्तर की गोष्ठियों में विशेषज्ञ किसान उन्नत प्रजातियों, कीट रोग नियंत्रण, इंटरक्रॉपिंग, सूक्ष्म सिंचाई जैसी तकनीकों पर मार्गदर्शन दे रहे हैं।

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2026-27 तक का लक्ष्य

सरकार को उम्मीद है कि 2026-27 तक दलहनी फसलों का रकबा बढ़कर 28.84 लाख हेक्टेयर और तिलहनी फसलों का रकबा 22.63 लाख हेक्टेयर तक पहुंच जाएगा।

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मांग और आपूर्ति में संतुलन की ओर

फिलहाल, राज्य में दलहन की आवश्यकता का लगभग 40-45% और तिलहन की मांग का 30-35% ही उत्पादन हो पा रहा है। जब उपज में गिरावट आती है, तो अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कीमतें बढ़ जाती हैं, जिससे उत्तर प्रदेश जैसे बड़े उपभोक्ता राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। लेकिन आत्मनिर्भरता हासिल होने पर यह स्थिति सुधरेगी।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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