सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की सुरक्षा में एक बार फिर चूक का मामला सामने आया है। यह घटना उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले की है, जहां अखिलेश यादव पार्टी कार्यालय के उद्घाटन के लिए पहुंचे थे।
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दरअसल, कार्यक्रम स्थल पर भारी भीड़ के बीच अचानक एक युवक मंच की ओर तेजी से बढ़ने लगा। यह शख्स सुरक्षा घेरा तोड़ता हुआ मंच तक पहुंचने की कोशिश कर रहा था। गनीमत रही कि जब यह घटना हुई, उस समय अखिलेश यादव मंच पर मौजूद नहीं थे। सुरक्षा में तैनात अधिकारियों ने तत्परता दिखाते हुए युवक को तत्काल रोका और कड़ी मशक्कत के बाद उसे बाहर कर दिया।
अखिलेश यादव की सुरक्षा में क्यों है सतर्कता ज़रूरी?
अब यह सवाल और गंभीर हो गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद अखिलेश यादव की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक आखिर कैसे हुई? इसका उत्तर जानने के लिए उनकी मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था और उसके इतिहास को समझना आवश्यक है।
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कौन करता है अखिलेश यादव की सुरक्षा?
वर्तमान समय में, अखिलेश यादव की सुरक्षा व्यवस्था उत्तर प्रदेश पुलिस के जिम्मे है। वर्ष 2019 तक उन्हें ‘ब्लैक कैट’ कमांडो द्वारा दी जाने वाली NSG सुरक्षा प्राप्त थी, लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने यह सुविधा वापस ले ली।
हालांकि अप्रैल 2025 में समाजवादी पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मांग की थी कि अखिलेश यादव को Z प्लस सुरक्षा के साथ-साथ NSG कवर दोबारा दिया जाए, ताकि राजनीतिक तनाव और जनसभाओं में सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
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क्या है Z प्लस सुरक्षा?
Z प्लस सुरक्षा भारत में सर्वोच्च श्रेणी की सुरक्षा मानी जाती है। इसमें लगभग 55 सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं, जिनमें 10 NSG कमांडो भी शामिल रहते हैं। जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, तब उन्हें यह सुविधा मिली थी और 24 घंटे NSG के 22 कमांडो उनके साथ तैनात रहते थे।
क्यों हटाई गई NSG सुरक्षा?
साल 2019 में किए गए सुरक्षा आकलन में यह निष्कर्ष निकाला गया कि अखिलेश यादव को अब उच्च स्तर का खतरा नहीं है। इसी आधार पर NSG सुरक्षा हटाई गई। उस समय अन्य कई नेताओं की सुरक्षा भी घटाई गई थी। हालांकि, इस फैसले पर कई राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आई थीं।
सुरक्षा में बार-बार हो रही चूक चिंताजनक
यह कोई पहली बार नहीं है जब अखिलेश यादव की सुरक्षा में सेंध लगी हो। इससे पहले भी उनके कार्यक्रमों में भीड़ का बेकाबू होना और सुरक्षा घेरा टूटना जैसी घटनाएं हो चुकी हैं। इससे यह साफ़ होता है कि उनकी सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता की आवश्यकता है।
क्या बढ़ेगी सुरक्षा?
इस घटना के बाद चर्चा जोरों पर है कि क्या अखिलेश यादव को दोबारा Z प्लस सुरक्षा और NSG कवर मिलेगा? साथ ही यह भी देखने वाली बात होगी कि राज्य और केंद्र सरकार इस मामले को कितनी गंभीरता से लेती है।
फिलहाल पुलिस प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और संबंधित अधिकारी इस पर निगरानी रख रहे हैं।
सख्त सुरक्षा की मांग फिर से ज़रूरी
यह घटना इस बात को स्पष्ट करती है कि राजनीतिक मंचों पर किसी भी प्रकार की लापरवाही गंभीर परिणाम ला सकती है। जब मंच तक कोई सामान्य व्यक्ति बिना अनुमति के पहुंच सकता है, तो यह भविष्य के लिए बड़ा संकेत है।
समय आ गया है कि नेताओं की सुरक्षा के लिए मजबूत, तकनीकी रूप से सुसज्जित और प्रोफेशनल सुरक्षा घेरे की व्यवस्था की जाए, जिससे इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।