google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
खास खबर

कांग्रेस का तंज: “खोदा पहाड़, निकली चुहिया”, जातिगत जनगणना का कोई जिक्र नहीं!

जयराम रमेश ने कहा- तेलंगाना मॉडल की तरह होनी चाहिए विस्तृत जातिगत और सामाजिक-आर्थिक गणना

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

 केंद्र सरकार द्वारा जनगणना 2021 को लेकर हाल ही में जारी अधिसूचना पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। सोमवार को पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने बयान जारी कर कहा कि यह अधिसूचना “खोदा पहाड़, निकली चुहिया” जैसी है क्योंकि इसमें जातिगत जनगणना का कहीं कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है।

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

उन्होंने यह भी मांग की कि आगामी 16वीं जनगणना में “तेलंगाना मॉडल” को अपनाया जाए, जिसमें न केवल जातियों की संख्या गिनी जाए बल्कि हर जाति की सामाजिक और आर्थिक स्थिति से जुड़ी सूक्ष्म जानकारी भी इकट्ठा की जाए।

सबसे पहले, जयराम रमेश ने स्पष्ट किया कि अगर सरकार सही मायनों में समावेशी विकास चाहती है, तो जातिगत आंकड़े एक जरूरी आधार हैं।

इसके अलावा, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार जनगणना जैसे संवेदनशील मुद्दे को जानबूझकर टाल रही है और सामाजिक न्याय की मांगों को नजरअंदाज कर रही है।

उल्लेखनीय है कि, तेलंगाना सरकार ने अपने राज्य में एक विस्तृत सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कराकर जातिवार शिक्षा, आय, ज़मीन और जीवनशैली से जुड़ी जानकारी जुटाई थी, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर दोहराना आवश्यक है।

1
क्या आप मानते हैं कि,

जनगणना में जातिगत और सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों को शामिल किया जाना चाहिए?

 

आप को यह भी पसंद आ सकता है  जिस उम्र में तुम हसीनाओं के दुपट्टे में लिपटकर रहते हो, वो उस उम्र में….सीमा हैदर की भावुकता भरी प्रतिक्रिया

You will be redirected

अंत में, कांग्रेस ने केंद्र से यह स्पष्ट मांग की कि वह जनगणना अधिसूचना में जातिगत गणना और सामाजिक-आर्थिक वर्गीकरण को शामिल करने के लिए नया संशोधित मसौदा जारी करे।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया इस ओर संकेत करती है कि जातिगत जनगणना का मुद्दा 2024 के बाद भी भारतीय राजनीति का प्रमुख विमर्श बिंदु बना रहेगा। ऐसे में सरकार की अगली कार्रवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

सरकार ने सोमवार को वर्ष 2027 में जातिगत गणना के साथ भारत की 16वीं जनगणना कराने के लिए अधिसूचना जारी की। पिछली बार ऐसी जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी। अधिसूचना में कहा गया है कि लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों में जनगणना एक अक्टूबर 2026 से तथा देश के बाकी हिस्सों में एक मार्च 2027 से की जाएगी।

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘लंबे इंतजार के बाद बहुप्रचारित 16वीं जनगणना की अधिसूचना आखिरकार जारी हो गई है। लेकिन यह एकदम ‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’ जैसी है क्योंकि इसमें 30 अप्रैल 2025 को पहले से घोषित बातों को ही दोहराया गया है।’’

उन्होंने कहा कि असलियत यह है कि कांग्रेस की लगातार मांग और दबाव के चलते ही प्रधानमंत्री को जातिगत गणना के साथ जनगणना कराने के मसले पर झुकना पड़ा। उन्होंने कहा, ’’ प्रधानमंत्री ने इसी मांग को लेकर कांग्रेस नेताओं को अर्बन नक्सल तक कह दिया था। संसद हो या उच्चतम न्यायालय, मोदी सरकार ने जातिगत गणना के साथ जनगणना कराने के विचार को सिरे से खारिज कर दिया था। अब से ठीक 47 दिन पहले, सरकार ने खुद इसकी घोषणा की।’’

आप को यह भी पसंद आ सकता है  "योग्यता प्रधान है अधिकारी प्रधान नहीं है", कह गए स्व कल्याण सिंह

रमेश के अनुसार, आज की राजपत्र अधिसूचना में जातिगत गणना का कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या यह फिर वही यू-टर्न है, जिसके लिए प्रधानमंत्री मोदी अपनी पहचान बना चुके हैं? या फिर आगे इसके विवरण सामने आयेंगे?’’

रमेश ने जोर देकर कहा, ‘‘कांग्रेस का स्पष्ट मत है कि 16वीं जनगणना में तेलंगाना मॉडल अपनाया जाए। यानी सिर्फ जातियों की गिनती ही नहीं बल्कि जातिवार सामाजिक और आर्थिक स्थिति से जुड़ी विस्तृत जानकारी भी जुटाई जानी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘तेलंगाना के जातिगत सर्वेक्षण में 56 सवाल पूछे गए थे। अब सवाल यह है कि 56 इंच की छाती का दावा करने वाले ‘नॉन बायोलॉजिकल’ व्यक्ति में क्या इतनी समझ और साहस है कि वह 16वीं जनगणना में भी 56 सवाल पूछने की हिम्मत दिखा सकें?’’

90 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Close