उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय) के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बांदा में छह माह से वेतन न मिलने और वेतन भत्तों में हो रही विसंगतियों के विरोध में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया।
सुशील मिश्रा की रिपोर्ट
बांदा, उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय) के अधिकारियों और कर्मचारियों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। विगत छह माह से वेतन नहीं मिलने और महंगाई भत्तों में भारी असमानता को लेकर शुक्रवार को बांदा जनपद में जल निगम कर्मियों ने काली पट्टी बांध कर विरोध प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।
इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन उत्तर प्रदेश जल निगम संघर्ष समिति के आह्वान पर किया गया था। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि शासन जल निगम (नगरीय) के साथ लगातार वेतन और भत्तों को लेकर भेदभावपूर्ण रवैया अपना रहा है।
ज्ञापन का नेतृत्व करते हुए महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष एस. के. सिंह ने कहा
“विगत छह माह से जल निगम (नगरीय) के कर्मचारियों को वेतन और भत्ते नहीं मिल रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार अन्य राज्यकर्मियों को 252% महंगाई भत्ता दे रही है, जबकि हमें मात्र 212% यानी 40% कम भत्ता दिया जा रहा है। वहीं ग्रामीण जल निगम को 246% भत्ता दिया जा रहा है, जो पूरी तरह नियमों के खिलाफ है।”
उन्होंने आगे कहा कि राज्य कर्मचारियों की तरह जल निगम को भी 1 जनवरी 2016 से सप्तम वेतनमान लागू किया जाए और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार षष्टम वेतनमान का एरियर तत्काल प्रभाव से जारी किया जाए। साथ ही अनुकंपा नियुक्तियों को पुनः प्रारंभ किया जाए, जो लंबे समय से अघोषित रूप से बंद हैं।
कर्मचारियों की अन्य प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
- राज्य कर्मियों की तर्ज पर कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना
- जल निगम का पूर्ववत एकीकरण बहाल करना
- संयोजक जी.पी. शैलेन्द्र ने स्पष्ट चेतावनी दी कि
“यदि सरकार ने जल्द हमारी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं की, तो हम सभी कर्मचारी 17, 18 और 19 जुलाई को लखनऊ मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।”
इस विरोध कार्यक्रम में प्रमुख रूप से एन. के. जैन, विजय राम, ओ. पी. सिंह परमार, दिनेश चतुर्वेदी, रामदयाल समेत करीब 50 कर्मचारी और पेंशनधारी उपस्थित रहे।