समाजवादी पार्टी ने तीन वरिष्ठ विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित किया। मनोज पांडे ने सपा पर रामचरितमानस के अपमान और कमजोर होते जनाधार को लेकर गंभीर सवाल उठाए। जानिए पूरी कहानी।
सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में सोमवार को उस समय भारी हलचल मच गई जब समाजवादी पार्टी (सपा) ने एक बड़ा सियासी कदम उठाते हुए पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में तीन विधायकों को निष्कासित कर दिया। इन विधायकों में गोशाईगंज के अभय सिंह, गौरीगंज के राकेश प्रताप सिंह और ऊंचाहार के मनोज पांडे शामिल हैं। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब सपा आगामी चुनावों के लिए खुद को संगठित करने में जुटी है।
🔻 मनोज पांडे ने किया पलटवार: “मैं बागी नहीं, सच बोल रहा हूं”
निष्कासन के बाद विधायक मनोज पांडे ने मीडिया से बात करते हुए पार्टी नेतृत्व पर कई तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा,
“मैंने पार्टी में 30 वर्षों तक सेवा की है। मैंने सपा के मूल सिद्धांतों के साथ हमेशा काम किया, लेकिन जब भीतर ही नैतिकता खत्म होने लगे तो वहां रहना कठिन हो जाता है।”
उन्होंने खुद को बागी कहे जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि उनका फैसला संविधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर रखा है कि विधायक राज्यसभा चुनाव में किसी को भी वोट देने के लिए स्वतंत्र है। ऐसे में उनका कदम पूरी तरह वैधानिक था।
🟠 “रामचरितमानस का अपमान और सपा की चुप्पी अस्वीकार्य”
मनोज पांडे ने अपनी नाराजगी की असली वजह साझा करते हुए कहा कि वे ऐसी पार्टी में नहीं रह सकते जहां
- रामचरितमानस को गाली दी जाए
- ग्रंथों को फाड़ा जाए
- गंगा को नाला और सीता माता को अपशब्द कहे जाएं।
उन्होंने साफ कहा कि इन मुद्दों पर उन्होंने पार्टी के भीतर विरोध दर्ज कराया था, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने चुप्पी साधे रखी। यही कारण है कि उन्होंने पार्टी से दूरी बनाने का फैसला किया।
🔻 “सपा का जनाधार कमजोर हो रहा है”
मनोज पांडे ने सपा की राजनीतिक स्थिति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा,
“403 सीटों पर उम्मीदवार उतारने के बाद भी केवल 46 विधायक जीत पाए, यह स्पष्ट करता है कि जनता का समर्थन अब सपा से हट चुका है।”
उनके अनुसार, पार्टी अब केवल सुविधा की राजनीति कर रही है जबकि वे जनसेवा और विचारधारा की राजनीति में विश्वास रखते हैं।
🟢 भाजपा में पहले ही ले चुके हैं सदस्यता
मनोज पांडे ने एक अहम खुलासा करते हुए बताया कि उन्होंने 18 मई 2024 को ही भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी और वह भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में।
उन्होंने कहा कि सपा द्वारा अब निष्कासित किया जाना हास्यास्पद है क्योंकि वे पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
> “यह दिखाता है कि पार्टी अब भी जमीनी हकीकत से दूर है।”
🟡”अनुग्रह नहीं, जनता का आशीर्वाद चाहिए”
सपा की ओर से निष्कासन पत्र में प्रयुक्त “अनुग्रह अवधि” जैसे शब्दों पर प्रतिक्रिया देते हुए मनोज पांडे ने कहा कि उन्हें किसी राजनीतिक पार्टी के अनुग्रह की आवश्यकता नहीं है।
“मैं जनता के आशीर्वाद से विधायक बना हूं, न कि किसी पार्टी के सिंबल से।”
उन्होंने अपनी भविष्य की रणनीति को लेकर कहा कि वे जनता और अपने शुभचिंतकों से सलाह-मशविरा कर आगे की दिशा तय करेंगे।
सपा के भीतर विचारधारा और नेतृत्व को लेकर गहराती दरार
यह घटनाक्रम स्पष्ट करता है कि समाजवादी पार्टी के भीतर विचारधारा, नेतृत्व और नीतियों को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है। मनोज पांडे जैसे वरिष्ठ नेता का जाना सपा के लिए झटका है और यह आने वाले चुनावों में पार्टी की रणनीति और स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।