बांदा के सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी पर SDM को थप्पड़ मारने और अवैध मौरंग ट्रक छुड़वाने के लिए धमकी देने का गंभीर आरोप। विपक्ष ने बताया ‘बीजेपी की गुंडागर्दी’।
संतोष कुमार सोनी के साथ सुशील मिश्रा की रिपोर्ट
बांदा(यूपी): उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर गर्मी बढ़ गई है—इस बार वजह बनी है मौरंग से भरे दो ट्रक और एक ज़रा सा थप्पड़! जी हां, बांदा सदर से बीजेपी विधायक प्रकाश द्विवेदी पर आरोप है कि उन्होंने SDM को न सिर्फ थप्पड़ मारा, बल्कि अपने समर्थकों संग मिलकर लाठियों से भी उनका ‘स्वागत’ किया। मामला है गिरवा इलाके की खुरहंड चौकी का, जहां देर रात ऐसा ‘सियासी ड्रामा’ हुआ कि पूरा प्रशासन दंग रह गया।
ट्रक, थप्पड़ और तमाशा…
बताया जा रहा है कि नरैनी के एसडीएम अमित शुक्ला ने सोमवार की रात खुरहंड क्षेत्र में अवैध मौरंग से लदे दो ओवरलोड ट्रकों को सीज कर लिया था। कानून के मुताबिक, एसडीएम ने जैसे ही कार्रवाई की, विधायक जी के तेवर चढ़ गए। पहले तो उन्होंने फोन कर “हाथ जोड़ने” की कोशिश की, लेकिन जब एसडीएम झुके नहीं, तो प्रकाश द्विवेदी खुद समर्थकों के साथ खुरहंड चौकी पर ‘धरातल सत्यापन’ करने पहुंच गए।
बात बिगड़ी, फिर हाथापाई शुरू
बातों-बातों में बहस गरम हुई, और फिर विधायक जी का हाथ खुद-ब-खुद उठ गया! SDM अमित शुक्ला ने आरोप लगाया है कि विधायक ने उन्हें थप्पड़ मारा, और फिर समर्थकों ने उन्हें लाठियों से पीटा। जब चौकी में मौजूद पुलिसकर्मी और SDM के ड्राइवर ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो उनके साथ भी धक्का-मुक्की हुई। कुल मिलाकर, पूरे थाने में कुछ देर के लिए WWE का लाइव शो चला।
FIR दर्ज, CCTV खंगाले जा रहे
SDM के ड्राइवर की शिकायत पर पुलिस ने विधायक प्रकाश द्विवेदी समेत तीन नामजद और करीब 25-30 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। आरोप हैं – सरकारी कार्य में बाधा, मारपीट, धमकी और गुंडागर्दी। अब CCTV फुटेज और स्थानीय गवाहों की तलाश शुरू हो चुकी है।
इस घटना ने विपक्षी दलों को बैठे-बैठाए मुद्दा थमा दिया है
समाजवादी पार्टी ने इसे “बीजेपी की गुंडा नीति” बताया है, जबकि कांग्रेस ने सीधे शब्दों में कहा – “ये लोकतंत्र का खुला अपमान है”। दोनों दलों ने विधायक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है और यह भी दावा किया है कि वह अवैध खनन माफिया से जुड़े हैं।
कौन हैं विधायक प्रकाश द्विवेदी?
बता दें कि प्रकाश द्विवेदी बांदा सदर से दूसरी बार विधायक हैं। जनता दरबार लगाने और लोगों की सुनवाई के लिए वे जाने जाते हैं। लेकिन, इस बार खुद ‘जनता दरबार’ के बजाय ‘कानून के कटघरे’ में खड़े नजर आ रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन पर पहले भी रिश्वतखोरी का मामला दर्ज हो चुका है।
अब आगे क्या?
अब देखना यह होगा कि बीजेपी इस मामले पर क्या रुख अपनाती है। क्या पार्टी विधायक के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी या फिर इसे भी ‘राजनीतिक साजिश’ बताकर दबा देगी?
तो जनाब, उत्तर प्रदेश की राजनीति में थप्पड़ भी अब ‘पावर’ का पैमाना बनता जा रहा है। जब कानून की बात आती है, तो कुछ नेताओं का हाथ थोड़ा ज़्यादा ही उठ जाता है!