नसेनी गांव में अतिक्रमण और धमकी के विरोध में पीड़ित परिवार ने शव के साथ तीन किलोमीटर पदयात्रा की। प्रशासन से घंटों वार्ता के बाद गिरफ्तारी और कार्रवाई का आश्वासन मिला। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
सोनू करवरिया की रिपोर्ट
नरैनी (बांदा): कोतवाली क्षेत्र के नसेनी गांव में अतिक्रमण, मारपीट और प्रशासनिक उदासीनता के खिलाफ एक पीड़ित परिवार ने शव के साथ लगभग तीन किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए मुख्य चौराहे की ओर कूच किया। मंगलवार को यह विरोध उस समय उग्र हो गया जब पीड़ित पक्ष ने आरोपितों की गिरफ्तारी और अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर शव का अंतिम संस्कार रोक दिया।
डेढ़ साल पुराना विवाद, रविवार को बना जानलेवा
दरअसल, गांव के जगदेव वर्मा और बुद्ध विलास वर्मा के परिवारों के बीच चबूतरा निर्माण और नाली पर अतिक्रमण को लेकर बीते डेढ़ साल से विवाद चल रहा था। पुलिस कई बार दोनों पक्षों का शांति भंग में चालान कर चुकी थी। प्रशासन की मौजूदगी में एक बार चबूतरा गिराया भी गया, लेकिन आरोप है कि दबंगों ने दोबारा निर्माण शुरू कर दिया, जिससे रविवार को विवाद ने हिंसक रूप ले लिया।
घायल की मौत के बाद प्रदर्शन
रविवार को हुई मारपीट में घायल जगदेव वर्मा को जिला अस्पताल रेफर किया गया था, लेकिन देर रात इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गई। सोमवार को शव गांव लाया गया। मंगलवार सुबह अंतिम संस्कार की तैयारी चल ही रही थी कि तभी गांव के मेवालाल ने परिजनों को धमकाते हुए कहा—”यह तो सिर्फ ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है।” यह सुनकर पीड़ित परिवार आक्रोशित हो गया और शव लेकर मुख्य चौराहे की ओर पैदल चल पड़ा।
प्रशासन से घंटों तक चला संवाद
कस्बे के करतल मार्ग पर पहुंचने से पहले पुलिस ने कई स्थानों पर भीड़ को रोकने की कोशिश की। सीओ अंबुजा त्रिवेदी और नायब तहसीलदार डॉ. आशीष शुक्ला मौके पर पहुंचे और समझाने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी। अंततः एसडीएम सत्यप्रकाश को हस्तक्षेप करना पड़ा।
पीड़ितों का कहना था कि वे लगातार शिकायतें देने के बावजूद न्याय से वंचित रहे हैं और उल्टे उनके खिलाफ ही मुकदमे दर्ज हुए हैं। प्रशासन द्वारा पहले गिराए गए चबूतरे का पुनर्निर्माण भी उनकी नाराजगी का मुख्य कारण रहा।
मुख्य मांगें और प्रशासन की प्रतिक्रिया
विरोध कर रहे परिवार ने भाजपा मंत्री डॉ. देवेंद्र भदौरिया और मेवालाल को घटना में शामिल बताते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की। करीब पांच घंटे तक चली वार्ता के बाद प्रशासन ने मांगों पर गंभीरता दिखाते हुए कार्रवाई का आश्वासन दिया।
सीओ अंबुजा त्रिवेदी ने कहा कि,
“जो भी इस घटना में संलिप्त हैं, उनके नाम जोड़े जाएंगे और गिरफ्तारी की जाएगी। अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।”
वहीं, एसडीएम सत्यप्रकाश ने नायब तहसीलदार को निर्देशित किया कि अतिक्रमण तत्काल हटाया जाए और भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो।
मंत्री ने आरोपों को किया खारिज
उधर, भाजपा मंत्री डॉ. देवेंद्र भदौरिया ने स्वयं पर लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा,
“इस मामले से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। पहले मेरी सलाह को किसी ने नहीं माना, इसलिए मैंने खुद को अलग कर लिया है। मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।”
इस घटना ने प्रशासन, राजनीति और न्याय व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़ित परिवार की नाराजगी, दबंगई और राजनीतिक हस्तक्षेप की आशंका ने ग्रामीणों के बीच असंतोष बढ़ा दिया है। देखना यह होगा कि प्रशासन अब कितनी तेजी से वादे पूरे करता है और कानून का राज स्थापित करता है।