google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
खास खबर

आम की मिठास में खो गया आलू का स्वाद, किसान बोले – भाव भी भूल गए और भावनाएं भी

आम ने आलू की निकासी रोकी: अच्छी फसल और कम कीमतों ने किसानों को किया परेशान

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

कानपुर, फर्रुखाबाद और कन्नौज में आम की जबरदस्त फसल और कम कीमतों ने आलू की मांग पर असर डाला है। कोल्ड स्टोरेज आलू से भर गए हैं, लेकिन निकासी बेहद कम हुई है। किसान और व्यापारी दोनों चिंतित हैं।

चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

कानपुर और आसपास के जिलों में इस वर्ष आम की शानदार फसल ने बाजार में मिठास तो घोली है, लेकिन आलू किसानों के लिए यह मीठास भारी पड़ रही है। फर्रुखाबाद और कन्नौज जैसे प्रमुख आलू उत्पादक जिलों में कोल्ड स्टोरेज आलू से ठसाठस भरे पड़े हैं। वजह साफ है—लोगों ने इस सीजन रोटी के साथ आलू की जगह आम को तरजीह दे दी।

जब आम सस्ता हुआ, आलू की पूछ घट गई

इस बार आम न केवल भरपूर मात्रा में आया, बल्कि उसकी कीमतें भी आम आदमी की पहुंच में रहीं। यही कारण है कि बाजार में आम की मांग बढ़ गई और लोग जमकर आम खरीदने लगे। इसका सीधा असर आलू की खपत पर पड़ा। फर्रुखाबाद के एक कोल्ड स्टोर मालिक जुगल किशोर मिश्रा बताते हैं कि इस बार 2-2.5 लाख बोरियों की क्षमता वाले अधिकांश स्टोरेज भर चुके हैं, लेकिन निकासी नहीं हो रही।

इसे भी पढें  योगी जी के मंत्री ने “आप” को खूब लपेटा… क्या क्या नहीं कहा…पढिए पूरी खबर

अप्रैल-मई से बिगड़ने लगा समीकरण

किसानों को शुरू में उम्मीद थी कि आलू के अच्छे दाम मिलेंगे, लेकिन अप्रैल और मई के महीने में आम की आमद और कीमतों में गिरावट ने सारे समीकरण बदल दिए। लोग जहां पहले आलू खरीदते थे, अब वही लोग आम की ओर मुड़ गए। नतीजतन, न सिर्फ आलू की बिक्री घटी बल्कि उसके दाम भी गिरकर आधे रह गए।

सीमा तनाव ने भी बढ़ाई किसानों की परेशानी

हालात को और खराब किया भारत की सीमाओं पर बना तनाव। इस बार पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ सीमावर्ती व्यापार ठप पड़ा है, जिससे आलू का एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा। किसान अजय मिश्रा के अनुसार, पिछले वर्ष 50 किलो की आलू की बोरी जहां 1000 रुपये तक बिकी थी, वहीं इस बार उसी बोरी की कीमत 500 रुपये तक आ गई है।

पूरे देश में हुई बंपर आलू की पैदावार

आलू किसानों की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं। उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार, पश्चिम बंगाल और पंजाब में भी आलू की जबरदस्त पैदावार हुई है। कन्नौज के किसान पवन पांडेय बताते हैं कि इस बार 3-3.5 लाख बोरियों की क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज से केवल 10-20 हजार बोरियों की ही निकासी हो पाई है। जब आम अधिक होता है, तो आलू की मांग स्वतः ही प्रभावित होती है।

इसे भी पढें  एल आई सी कार्यालय के नीचे मीटिंग करते रहे कर्मचारी, घंटों उल्टा फहरता रहा राष्ट्रीय ध्वज

किसान नहीं बेचना चाहते सस्ते में आलू

किसानों की हताशा का एक और कारण यह है कि वे सस्ते दामों पर आलू बेचना नहीं चाहते। उन्हें उम्मीद थी कि जून तक कोल्ड स्टोरेज खाली होने लगेंगे, लेकिन हकीकत यह है कि स्टोर अभी तक आधे भी खाली नहीं हो सके हैं। न तो स्थानीय खपत बढ़ी है और न ही निर्यात का रास्ता खुला है।

इस वर्ष की फसल चक्र ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कैसे एक फसल की अधिकता दूसरी की मांग को प्रभावित कर सकती है। आम की मिठास ने इस बार आलू की कड़वाहट बढ़ा दी है। यदि स्थिति जल्द नहीं सुधरी, तो न केवल किसान बल्कि कोल्ड स्टोरेज संचालक भी गंभीर आर्थिक संकट में आ सकते हैं। यह मुद्दा नीति-निर्माताओं के लिए भी सोचने योग्य है कि कैसे विभिन्न फसलों के बीच संतुलन बनाकर कृषि अर्थव्यवस्था को सुरक्षित किया जाए।

37 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Close