प्रयागराज से अगवा की गई दलित लड़की के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। केरल में जबरन धर्मांतरण और ट्रेनिंग के बाद उसे ‘खद्दामा वीज़ा’ पर सऊदी अरब भेजने की तैयारी थी। जांच एजेंसियां गहराई से पड़ताल में जुटी हैं।
अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के फूलपुर क्षेत्र से अगवा की गई एक दलित नाबालिग लड़की के मामले में अब तक की सबसे चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। केरल के एक ट्रेनिंग सेंटर में जबरन धर्मांतरण के बाद, उस लड़की को सऊदी अरब भेजने की तैयारी की जा रही थी।
प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया है कि उस लड़की को इस्लामिक रीति-रिवाजों और उर्दू भाषा की विशेष ट्रेनिंग दी गई। इतना ही नहीं, उसे इस्लामिक पहनावे और जीवनशैली को अपनाने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया गया। इसी क्रम में, लड़की को ‘खद्दामा वीज़ा’ यानी घरेलू कामकाज में नियुक्ति के नाम पर सऊदी अरब भेजने की योजना बनाई गई थी।
केरल से प्रयागराज वापसी और खुलासे की शुरुआत:
यह मामला तब सामने आया जब लड़की किसी तरह उस ट्रेनिंग सेंटर से भागकर वापस प्रयागराज आ गई। वापसी के बाद, उसे न्यायालय में प्रस्तुत किया गया और फिर बाल कल्याण समिति को सौंपा गया। वहीं, रास्ते में उसने पुलिस को चौंकाने वाले खुलासे किए।
लड़की ने बताया कि उसे एक छोटे से कमरे में रखा गया था, जहां कई अन्य लड़कियां भी थीं। हालांकि, सभी को आपस में बातचीत करने की सख्त मनाही थी। इससे यह संकेत मिला कि वहां एक व्यवस्थित नेटवर्क काम कर रहा था, जो धर्मांतरण के बाद युवतियों को विदेश भेजने की तैयारी करता है।
ट्रेनिंग सेंटर के तौर-तरीकों पर जांच
जांच एजेंसियां अब इस पूरे मामले को ‘केरल स्टोरी’ की तर्ज पर गंभीरता से ले रही हैं। खास बात यह है कि ट्रेनिंग सेंटर में मुस्लिम समाज की बुनियादी बातें, शरीयत कानून, हिजाब पहनने का तरीका, नमाज अदा करने की प्रक्रिया आदि को अनिवार्य रूप से सिखाया जाता था।
लड़की ने बताया कि उर्दू भाषा सीखना अनिवार्य था और उनसे ‘नव-मुस्लिम’ की तरह व्यवहार करने को कहा जाता था। यही नहीं, उन्हें यह भी बताया गया कि वर्क वीजा के रूप में उन्हें ‘खद्दामा वीज़ा’ पर सऊदी भेजा जाएगा, जहां उन्हें घरेलू नौकरानी की भूमिका में रखा जाएगा।
जांच एजेंसियों की दिशा और सऊदी कनेक्शन:
अब एटीएस (Anti-Terror Squad), विजिलेंस और अन्य एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहलुओं की जांच कर रही हैं। जांच का फोकस इस बात पर है कि क्या यह कोई संगठित गिरोह है जो दलित या कमजोर वर्ग की लड़कियों को टारगेट करता है और फिर उन्हें धर्मांतरण कराकर खाड़ी देशों में भेजता है।
फिलहाल, एजेंसियों ने ट्रेनिंग सेंटर से जुड़े सभी लोगों की निगरानी शुरू कर दी है। वहां ट्रेनिंग ले चुकी और अन्य राज्यों से लाई गई लड़कियों की सूची तैयार की जा रही है। इसके अलावा, विदेश मंत्रालय और इमिग्रेशन डिपार्टमेंट से भी डाटा मांगा गया है ताकि सऊदी अरब भेजी गई अन्य लड़कियों की पुष्टि की जा सके।
यह मामला केवल एक लड़की के जबरन धर्मांतरण का नहीं, बल्कि एक गहरे और सुनियोजित साजिश का संकेत देता है। प्रयागराज की यह घटना देश भर में सक्रिय उन नेटवर्क्स की ओर इशारा करती है जो मासूम लड़कियों को धोखे से धर्मांतरित कर उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी का शिकार बनाते हैं।
आने वाले दिनों में, यदि जांच और गहराई से आगे बढ़ी, तो यह मामला और भी बड़े खुलासों की नींव बन सकता है।