उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में यमुना और केन नदियों के उफान से दर्जनों गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया है।
संतोष कुमार सोनी के साथ सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट
खप्टिहा कला और अमारा जैसे गांवों में सड़कों पर पानी भर जाने से स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर असुरक्षित नावों से स्कूल जा रहे हैं। प्रशासन ने बाढ़ चौकियों को सक्रिय करते हुए राहत कार्य तेज किए हैं।
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में इस समय हालात गंभीर होते जा रहे हैं। यमुना और केन नदियों के लगातार बढ़ते जलस्तर ने दर्जनों गांवों को बुरी तरह प्रभावित किया है। विशेषकर खप्टिहा कला और अमारा गांवों में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, जहां संपर्क मार्ग पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। सड़कों पर पानी इतना भर चुका है कि अब वहाँ छोटी नदियों जैसी धाराएं बहती नजर आ रही हैं।
बच्चों की सुरक्षा पर संकट
इधर, स्कूलों के खुलते ही छात्र और उनके अभिभावक परेशान हैं। सड़कें बंद होने के कारण स्कूली बच्चों को स्कूल पहुँचने के लिए स्थानीय स्तर पर तैयार की गई जुगाड़ू नावों का सहारा लेना पड़ रहा है। ये नावें लकड़ी, टिन और थर्माकोल जैसी अस्थायी सामग्रियों से बनी हैं, जो अत्यंत असुरक्षित हैं।
कई अभिभावकों ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि यदि जल्द कोई ठोस वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई, तो वे आगामी चुनावों का बहिष्कार करेंगे। उनके अनुसार, प्रशासन केवल आश्वासन दे रहा है लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया।
प्रशासन सक्रिय, लेकिन चुनौतियाँ बरकरार
हालांकि स्थिति बिगड़ती देख प्रशासन हरकत में आया है। जिलाधिकारी जे. रिभा ने बताया कि मध्य प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में भारी वर्षा होने से यमुना और केन नदियों में पानी का स्तर तेजी से बढ़ा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हालांकि दोनों मुख्य नदियाँ अभी खतरे के निशान से नीचे हैं, लेकिन इनकी सहायक नदी चंद्रावल का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है जिससे स्थानीय स्तर पर बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
प्रभावित इलाकों में PWD विभाग के सहयोग से स्टीमर सेवा शुरू करने की योजना पर काम हो रहा है। साथ ही प्रशासनिक निगरानी में सरकारी नावों की तैनाती की भी तैयारी की जा रही है ताकि बच्चों और आमजन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
47 बाढ़ चौकियाँ सक्रिय, अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश
जिले की सभी 47 बाढ़ चौकियाँ सक्रिय कर दी गई हैं, और लेखपालों, ग्राम सचिवों व एसडीएम को अलर्ट मोड पर रखा गया है। प्रशासन की ओर से लोगों से बाढ़ग्रस्त इलाकों में अनावश्यक आवागमन न करने और वाहनों का उपयोग टालने की अपील की गई है।
जहां एक ओर प्राकृतिक आपदा का यह रूप ग्रामीण जनता की दैनिक जिंदगी को प्रभावित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन की तत्परता राहत की उम्मीद भी जगा रही है। ज़रूरत इस बात की है कि राहत कार्य तेज़ी से लागू किए जाएँ और स्थायी समाधान की ओर भी कदम बढ़ाए जाएँ ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियों से बेहतर ढंग से निपटा जा सके।