अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने पार्टी की नई कार्यकारिणी में बड़ा बदलाव करते हुए मंत्री आशीष पटेल को उपाध्यक्ष बनाया, जबकि ममता तिवारी को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। जानें इस बदलाव के राजनीतिक मायने।
अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की राजनीति में शुक्रवार को उस समय हलचल मच गई जब केंद्र सरकार में मंत्री और अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने पार्टी की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कर दी। इस कार्यकारिणी में सबसे बड़ा और चौंकाने वाला बदलाव यह रहा कि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री आशीष पटेल को पदावनत कर उपाध्यक्ष बना दिया गया। उनकी जगह अब ममता बदल तिवारी को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पार्टी में अचानक से बड़ा बदलाव
यह बदलाव ऐसे समय पर सामने आया है जब पार्टी के अंदर असंतोष और गुटबाजी की खबरें सुर्खियों में थीं। दो दिन पहले ही कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हुए निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया था। इसी पृष्ठभूमि में आया यह फेरबदल केवल एक सांगठनिक निर्णय नहीं, बल्कि आंतरिक सत्ता संतुलन को साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
आशीष पटेल का कद कम, नया संकेत?
गौरतलब है कि आशीष पटेल, जो उत्तर प्रदेश सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री हैं, अनुप्रिया पटेल के पति भी हैं। दोनों की राजनीतिक भूमिकाएं लंबे समय से पार्टी के भीतर और बाहर चर्चा में रही हैं।
अब आशीष पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटाकर उपाध्यक्ष बनाए जाने को सिर्फ पद परिवर्तन नहीं, बल्कि नेतृत्व में नई सोच और दिशा का संकेत माना जा रहा है। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि यह कदम अंदरूनी मतभेदों को संतुलित करने और पार्टी पर एकछत्र नेतृत्व स्थापित करने की दिशा में उठाया गया है।
ममता बदल तिवारी की नई भूमिका
नई कार्यकारिणी में ममता तिवारी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाना विशेष ध्यान आकर्षित करता है। ममता पूर्वांचल की राजनीति में एक जाना-पहचाना चेहरा हैं और लंबे समय से संगठन से जुड़ी रही हैं। उनकी नियुक्ति युवाओं, महिलाओं और सामाजिक न्याय के प्रतिनिधित्व की दिशा में एक अहम कदम के रूप में देखी जा रही है। माना जा रहा है कि उनके नेतृत्व में पार्टी अपनी सांगठनिक मजबूती और जमीनी पकड़ को और मजबूत करने की ओर अग्रसर होगी।
बागी सुरों पर लगाम?
पिछले कुछ समय से पार्टी के कई जिला अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता नेतृत्व के रवैये से असहज महसूस कर रहे थे। नेतृत्व पर मनमानी, संवाद की कमी और फैसलों में अपारदर्शिता जैसे आरोप खुलेआम लगाए जा रहे थे। ऐसे में आशीष पटेल को हटाना केवल आंतरिक राजनीति का परिणाम नहीं, बल्कि एक संतुलन साधने वाली रणनीतिक चाल भी हो सकती है।
2029 के लोकसभा चुनाव की तैयारी?
अपना दल (एस) ने 2024 के लोकसभा चुनावों में एनडीए गठबंधन के तहत अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन अब पार्टी 2029 की तैयारी में जुट गई है। ममता तिवारी की ताजपोशी को कुर्मी वोट बैंक और महिला मतदाताओं को साधने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। इससे साफ है कि पार्टी अब जातिगत समीकरणों को नए सिरे से संतुलित कर मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
एक छत्र नेतृत्व की ओर बढ़ते कदम
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अनुप्रिया पटेल का यह कदम केवल संगठनात्मक सुधार नहीं, बल्कि अपने राजनीतिक वर्चस्व को और अधिक मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है। कार्यकारी अध्यक्ष जैसे पद पर अपने विश्वस्त सहयोगी को लाना यह स्पष्ट करता है कि पार्टी की निर्णय प्रक्रिया को अब और अधिक केंद्रीकृत किया जा रहा है।
इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि आने वाले समय में अपना दल (एस) में नेतृत्व की धुरी और अधिक स्पष्ट और केंद्रीकृत होगी, और यह पार्टी की दिशा और दशा को गहराई से प्रभावित करेगी।