अपना दल (एस) ने यूपी पंचायत चुनाव 2026 में बीजेपी से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की यह रणनीति 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी मानी जा रही है।
अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बड़ा मोड़ तब आया जब केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने प्रयागराज में ऐलान किया कि उनकी पार्टी अपना दल (एस) 2026 में होने वाले पंचायत चुनावों में बीजेपी से अलग होकर स्वतंत्र रूप से सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। यह निर्णय केवल स्थानीय सत्ता की लड़ाई नहीं बल्कि 2027 विधानसभा चुनाव की एक पूर्व तैयारी (rehearsal) के रूप में देखा जा रहा है।
केंद्र-राज्य में साझेदारी, लेकिन गांव में मुकाबला
हालांकि अपना दल(एस) केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में एनडीए का सहयोगी दल है, लेकिन पंचायत चुनावों में यह दल परंपरागत रूप से अकेले चुनाव लड़ता रहा है। इस बार भी वही परंपरा दोहराई जाएगी। अनुप्रिया ने साफ किया कि पंचायत चुनाव को लेकर बीजेपी से कोई गठबंधन या बातचीत नहीं हुई है।
पंचायत चुनाव: पार्टी का आंतरिक मूल्यांकन
अनुप्रिया पटेल का मानना है कि पंचायत चुनाव उनके लिए संगठनात्मक मजबूती और जमीनी पकड़ का परीक्षण है। उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता हर ग्राम पंचायत, वार्ड और जिला पंचायत सीट पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं। इसके लिए पार्टी ने बूथ स्तर पर कमेटियों को मजबूत करने की कवायद तेज कर दी है।
मिशन पंचायत: संगठन में नई जान
पार्टी ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र को चार भागों में विभाजित करते हुए विधानसभा प्रभारी नियुक्त किए हैं। इसका उद्देश्य न केवल संगठन का विस्तार करना है, बल्कि उन लोगों तक पहुंच बनाना है जो पार्टी से जुड़ना चाहते हैं। अनुप्रिया का कहना है कि सिर्फ 10-12 विधायक होना पर्याप्त नहीं है; असली लक्ष्य अभी दूर है।
2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी का आधार
विश्लेषकों के अनुसार, यूपी की दो-तिहाई विधानसभा सीटें ग्रामीण इलाकों में हैं। इसलिए पंचायत चुनाव, विशेष रूप से जिला पंचायत चुनाव, राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक बनते हैं। यहां से दल क्षेत्रवार और जातिवार समीकरणों का आकलन कर भविष्य की रणनीति बनाते हैं।
क्यों अकेले चुनाव लड़ेगा अपना दल (एस)?
अपना दल(एस) के पास कुर्मी समाज में अच्छी पकड़ है, लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन में रहते हुए स्थानीय कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिलता। इसलिए अनुप्रिया पटेल ने पंचायत चुनाव को एक राजनीतिक प्रयोगशाला मानते हुए पार्टी के कार्यकर्ताओं को चुनाव मैदान में उतारने का निर्णय लिया है।
उनका कहना है कि यह केवल एक अभ्यास है, जबकि असली परीक्षा 2027 विधानसभा चुनाव होगी। वहीं उनके पति और योगी सरकार के मंत्री आशीष पटेल ने भी कार्यकर्ताओं को जमीन पर उतरकर पार्टी की नीतियों को आमजन तक पहुंचाने का आह्वान किया है।
गठबंधन पर असर नहीं पड़ेगा?
अनुप्रिया पटेल का मानना है कि पंचायत चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं लड़े जाते, इसलिए इससे एनडीए के साथ रिश्तों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह चुनाव स्थानीय स्तर पर संगठन की क्षमता को परखने का अवसर है, न कि गठबंधन तोड़ने का संकेत।
यूपी पंचायत चुनाव 2026 को लेकर अपना दल (एस) की तैयारी यह दर्शाती है कि पार्टी अब अपने संगठनात्मक विस्तार और राजनीतिक प्रभाव का आकलन खुद करने को तैयार है। अनुप्रिया पटेल का यह कदम 2027 विधानसभा चुनाव के लिए एक सियासी एक्सरसाइज है, जो यह तय करेगा कि पार्टी राज्य की राजनीति में कितनी मजबूत स्थिति में खड़ी है।