सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
मूड ऑफ द नेशन सर्वे 2025 के अनुसार उत्तर प्रदेश में NDA को इंडिया गठबंधन पर बढ़त मिली है। जानिए अगस्त 2024 के मुकाबले किसे कितना फायदा और नुकसान हुआ।
2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों ने न केवल राजनीतिक विश्लेषकों को चौंकाया, बल्कि जनता की सोच को भी नई दिशा दी। जहां बीजेपी 400 पार का दावा कर रही थी, वहीं उसे 240 सीटों पर ही रोक दिया गया। खासतौर पर उत्तर प्रदेश जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में सियासी समीकरणों ने चौंकाने वाले मोड़ लिए।
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दो सर्वे, दो तस्वीरें: अगस्त 2024 बनाम फरवरी 2025
गौरतलब है कि पिछले वर्ष 4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित हुए थे। उसके बाद से इंडिया टुडे और C Voter द्वारा दो बार “मूड ऑफ द नेशन पोल” (Mood of the Nation Poll) जारी किया गया। पहला सर्वे अगस्त 2024 में सामने आया था, जबकि नवीनतम सर्वे फरवरी 2025 में प्रकाशित हुआ है। इन दोनों सर्वेक्षणों में उत्तर प्रदेश की सियासी तस्वीर काफी बदलती नजर आई है।
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अगस्त 2024: इंडिया गठबंधन को हल्की बढ़त
अगस्त 2024 के सर्वे के अनुसार, इंडिया गठबंधन ने एनडीए पर मामूली बढ़त बनाई थी। अनुमान था कि अगर उसी समय चुनाव होते तो इंडिया गठबंधन को 40 सीटें मिल सकती थीं, जबकि NDA को 39 सीटों पर ही संतोष करना पड़ता।
तब के अनुमान के अनुसार:
- भाजपा – 35 सीटें
- अपना दल (एस) – 2 सीटें
- रालोद – 2 सीटें
- सपा – 34 सीटें
- कांग्रेस – 6 सीटें
फरवरी 2025: NDA ने ली बढ़त
ताजा सर्वे के अनुसार अगर आज चुनाव होते हैं, तो NDA उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन से आगे निकलता दिख रहा है। इस बार के अनुमानों के अनुसार, NDA को 43 से 45 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि इंडिया गठबंधन को 34 से 36 सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है।
फरवरी के अनुमान के अनुसार:
- भाजपा – 40 सीटें
- अपना दल + रालोद – 4 सीटें
- सपा – 30 सीटें
- कांग्रेस – 5 सीटें
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फायदा और नुकसान: किसे क्या मिला?
यदि ताजा सर्वे के आंकड़ों को लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों से तुलना करें, तो तस्वीर कुछ यूं बनती है:
- समाजवादी पार्टी: चुनाव में 37 सीटें मिली थीं, अब अनुमानित 30 — यानी 7 सीटों का नुकसान।
- भारतीय जनता पार्टी: चुनाव में 33 सीटें, अब संभावना 40 की — यानी 7 सीटों का सीधा फायदा।
- कांग्रेस: 6 से घटकर 5 — मामूली नुकसान।
इस बदलाव के पीछे कई कारक जिम्मेदार माने जा सकते हैं, जैसे कि जातीय समीकरणों में फेरबदल, गठबंधन की स्थिरता, और स्थानीय स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं की सक्रियता।
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क्या कहता है जनमत?
विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में वोटर का मूड तेजी से बदल रहा है। सपा को जहां पिछड़े और मुस्लिम मतदाताओं का भरोसा मजबूत करना होगा, वहीं भाजपा अपने आधार वोट बैंक को और मज़बूती देने में जुटी है। इसी के साथ, छोटे दलों की भूमिका भी निर्णायक बनती जा रही है, खासकर पश्चिमी यूपी और बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में।
निष्कर्ष
जहां अगस्त 2024 में इंडिया गठबंधन यूपी में बढ़त लेता दिख रहा था, वहीं फरवरी 2025 तक आते-आते एनडीए ने सियासी वापसी की है। हालांकि, अभी लोकसभा चुनावों में समय है, पर यह तय है कि यूपी की राजनीति में हलचल जारी रहेगी और हर मोड़ पर समीकरण बदलते रहेंगे।