ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के जालौन जिले से भ्रष्टाचार का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पंचायत व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कदौरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत अकबरपुर इटौरा में पशुओं के चारे के नाम पर हुए 2.97 लाख रुपये के घोटाले का भंडाफोड़ हुआ है। इस मामले में ग्राम सचिव अभिषेक यादव को दोषी पाए जाने पर तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।
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✅ शिकायत के बाद खुला भ्रष्टाचार का खेल
दरअसल, मामला तब सामने आया जब जिला प्रशासन को गोवंश चारा निधि के दुरुपयोग की शिकायत प्राप्त हुई। जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने तत्काल जांच के आदेश दिए और इसकी जिम्मेदारी जिला विकास अधिकारी निशांत पांडे को सौंपी गई।
जांच में यह स्पष्ट हो गया कि सचिव अभिषेक यादव ने फर्जी हस्ताक्षरों का उपयोग करते हुए पशु चारा के लिए आवंटित धनराशि का गबन किया। उन्होंने इस रकम को अपने निजी हितों में खर्च किया, जिससे पशुओं को चारे से वंचित रहना पड़ा।
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🚨 डीएम का सख्त एक्शन: निलंबन और एफआईआर
जांच रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने सचिव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश जारी कर दिए। साथ ही स्पष्ट किया कि “शासन की योजनाओं में किसी भी तरह की अनियमितता को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
डीएम ने यह भी घोषणा की कि सचिव से सरकारी धन की वसूली की जाएगी, ताकि जनधन की बर्बादी को रोका जा सके।
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🔍 अन्य पंचायतें भी जांच के दायरे में
यह घोटाला ऐसे समय सामने आया है जब राज्य सरकार ग्राम पंचायतों को गोवंश संरक्षण और भरण-पोषण के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपये की धनराशि उपलब्ध कराती है। ऐसे में इस घटना के बाद अन्य ग्राम पंचायतों की कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगे हैं। संभावना जताई जा रही है कि अब कई पंचायतों की ऑडिट और फील्ड जांच की जाएगी।
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🗣️ ग्रामीणों ने की पारदर्शिता की मांग
डीएम की कार्रवाई के बाद ग्रामीणों ने उनकी तत्परता और निष्पक्षता की सराहना की है। उन्होंने मांग की कि अन्य विकास योजनाओं में भी इसी तरह जांच हो और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उनका कहना है कि यदि ऐसी कार्रवाइयों में विलंब हुआ तो भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
📢 योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर अमल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के अनुसार प्रदेश भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त अभियान चलाया जा रहा है। जालौन प्रशासन की यह कार्रवाई उस दिशा में एक उदाहरण बनकर उभरी है। सचिव के निलंबन के बाद अब ग्राम स्तर पर योजनाओं की सतर्क निगरानी और उत्तरदायित्व तय करने की प्रक्रिया तेज हो गई है।
प्रशासन का यह रुख अन्य ग्राम सचिवों को भी स्पष्ट संदेश देता है कि यदि कोई भी अधिकारी जनहित की योजनाओं में हेरफेर करता है, तो उसे कठोर दंड भुगतना पड़ेगा।
यह मामला सिर्फ एक सचिव की अनियमितता का नहीं, बल्कि ग्राम पंचायतों की व्यवस्था पर सवालिया निशान है। अब जब सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं, तो वक्त आ गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को सख्ती से लागू किया जाए।
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