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महाराजगंज

भाजपा नेता गुड्डू खान को महिलाओं ने कीचड़ से नहलाया, वजह आपको कर देगी हैरान

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

बारिश न होने से परेशान महाराजगंज के लोगों ने निभाई वर्षों पुरानी परंपरा, भाजपा नेता गुड्डू खान को महिलाओं ने कजरी गीत गाते हुए कीचड़ से नहलाया। जानिए इसके पीछे की दिलचस्प वजह।

जहां एक ओर बाढ़, वहीं दूसरी ओर सूखा

जहां एक ओर देश के कई हिस्से भारी बारिश और बाढ़ से जूझ रहे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में लोग तपती गर्मी और सूखे से परेशान हैं। इसी बीच एक अनोखी परंपरा को निभाते हुए नौतनवा कस्बे की महिलाओं ने भाजपा नेता और पूर्व चेयरमैन गुड्डू खान को कीचड़ और गंदे पानी से नहलाया। यह पूरा दृश्य न केवल चौंकाने वाला था, बल्कि इसके पीछे की परंपरा और श्रद्धा भी उतनी ही रोचक है।

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वर्षों पुरानी परंपरा की पुनरावृत्ति

दरअसल, यह घटना किसी अपमान या विरोध का परिणाम नहीं थी, बल्कि वर्षों पुरानी उस लोक परंपरा का हिस्सा थी, जिसे बारिश न होने की स्थिति में निभाया जाता है। मान्यता है कि जब लंबे समय तक वर्षा नहीं होती, तो गांव या कस्बे के प्रतिष्ठित व्यक्ति को महिलाएं कजरी गीत गाते हुए कीचड़ से नहलाती हैं। यह प्रतीकात्मक कार्य इंद्रदेव को प्रसन्न करने की एक कोशिश मानी जाती है, जिससे बादल बरसें और खेतों में हरियाली लौटे।

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शांत भाव से परंपरा में सम्मिलित हुए भाजपा नेता

तस्वीर और वीडियो में देखा जा सकता है कि भाजपा नेता गुड्डू खान कुर्सी पर शांति से बैठे हैं, जबकि महिलाएं उनके हाथ-पैर बांध कर उन्हें नहला रही हैं। इस दौरान वे किसी प्रकार का विरोध नहीं करते, बल्कि मंद-मंद मुस्कुराते हुए इस लोकाचार का हिस्सा बनते हैं। उन्होंने स्वयं कहा कि—

“पूर्वजों की इस परंपरा में विश्वास है। जब-जब इंद्रदेव रूठते हैं, तब गांवों में राजा या मुखिया को कीचड़ से नहलाया जाता था, जिससे वर्षा होती थी। मुझे खुशी है कि मैं इस परंपरा का हिस्सा बना।”लूट की झूठी कहानी से बैंक लोन चुकाना चाहता था ऑटो चालक, पुलिस ने किया गिरफ्तार

कजरी गीतों की गूंज और महिलाओं का विश्वास

महिलाएं कजरी गीत गाती हुईं भाजपा नेता को नहलाती दिखीं। वे कहती हैं कि अब तक कोई प्रयास काम नहीं आया, इसलिए उन्होंने यह परंपरा अपनाई। स्थानीय निवासी भी मानते हैं कि ऐसे रिवाजों में आस्था और विज्ञान दोनों की झलक होती है—जहां एक ओर यह एक सामाजिक एकजुटता का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर इससे पर्यावरण और वर्षा के प्रति सामूहिक चेतना भी जागती है।

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वीडियो देखें:

बारिश की आस, परंपरा की आशा

फिलहाल महाराजगंज में बारिश की बेहद कमी है, जिससे किसान बेहाल हैं और आमजन गर्मी से त्रस्त। ऐसे में यह परंपरा लोगों की आस्था का प्रतीक बनकर उभरी है, और गुड्डू खान का इस परंपरा में सहभागिता करना स्थानीय राजनीति में भी एक नया संदेश देता है—कि नेता जनता के साथ हैं, उनके दुख-सुख में बराबरी से शामिल हैं।

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जहां आधुनिक समाज इन लोकपरंपराओं को पीछे छोड़ता जा रहा है, वहीं महाराजगंज की यह घटना यह याद दिलाती है कि लोकआस्था में अब भी वो ताकत है, जो समाज को एक सूत्र में बाँधती है। अब देखना यह होगा कि क्या इंद्रदेव इस प्रयास से प्रसन्न होकर महाराजगंज में वर्षा बरसाएंगे।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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