कानपुर में जिलाधिकारी की एक डांट ने ई-रिक्शा चालक विनोद कुमार और उनके छह साथियों को पान मसाले की लत से मुक्ति दिला दी। जानिए कैसे एक चेतावनी बना प्रेरणा का स्रोत।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
कभी-कभी जिंदगी में एक छोटी सी बात इतनी गहराई से असर कर जाती है कि वह पूरी सोच और आदतों को ही बदल देती है। ऐसा ही कुछ हुआ कानपुर में, जहां जिलाधिकारी की एक डांट ने न सिर्फ एक व्यक्ति की लत छुड़ाई, बल्कि सात परिवारों की ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव ला दिया।
ई-रिक्शा चालक की शिकायत और डीएम की खरी-खरी
दरअसल, कानपुर में ई-रिक्शा नियमितीकरण को लेकर एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें ई-रिक्शा वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद कुमार भी मौजूद थे। बैठक के दौरान विनोद ने अपनी एक व्यक्तिगत समस्या जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह के सामने रखी। लेकिन बात सुनते-सुनते डीएम की नजर विनोद की पान मसाला खाने की आदत पर पड़ी।
इसके बाद जो हुआ, उसने सब कुछ बदल दिया।
डीएम ने समस्या सुनने के बाद सख्त लहजे में कहा, “पहले पान मसाला छोड़िए, फिर बात होगी।” यह एक सीधा वाक्य विनोद के लिए चेतावनी से बढ़कर जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया। उस दिन से ही विनोद ने पान मसाला को अलविदा कह दिया।
चेतावनी बनी प्रेरणा, और प्रेरणा बनी परिवर्तन की लहर
विनोद कुमार का कहना है कि वे वर्षों से पान मसाला की लत में जकड़े हुए थे। परिवार ने कई बार समझाया लेकिन आदत छोड़ना उनके लिए आसान नहीं था। हालांकि, डीएम की एक कड़ी फटकार ने वह कर दिखाया जो कोई करीबी नहीं कर पाया था।
इतना ही नहीं, उन्होंने खुद की आदत बदलने के बाद अपने जैसे ही छह और ई-रिक्शा चालकों को भी इस बुरी लत से छुटकारा दिलवाया। उन्होंने अपने साथियों को पान मसाले के नुकसान समझाए और उन्हें भी इसके खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित किया।
परिवारों में लौटी खुशी की मुस्कान
विनोद बताते हैं कि इस बदलाव से उनकी बेटी बेहद खुश है। घर का माहौल पहले से ज्यादा सकारात्मक हो गया है। परिवार वाले जो सालों से इस परिवर्तन की आस लगाए बैठे थे, अब गर्व से भरे हुए हैं। वहीं जिन छह साथियों ने भी लत छोड़ी, उनके परिवारों में भी राहत और खुशी की लहर है।
डीएम ने सराहा संकल्प
विनोद कुमार जब अपनी इस सफलता की कहानी सुनाने खुद कलेक्ट्रेट पहुंचे, तो डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह ने न केवल उन्हें बधाई दी बल्कि उनके संकल्प की खुले दिल से सराहना भी की। उन्होंने कहा,
“जब कोई व्यक्ति खुद को बदलता है, तो उसका असर केवल उस तक सीमित नहीं रहता। उसका प्रभाव पूरे समाज पर पड़ता है। इच्छाशक्ति से कोई भी बुरी आदत छोड़ी जा सकती है।”
प्रेरणा कहीं से भी मिल सकती है
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि बदलाव का बीज कभी भी, कहीं भी और किसी भी रूप में बोया जा सकता है। कभी-कभी एक डांट, एक चेतावनी—या कहें, एक झटका—ज़िंदगी की दिशा बदल सकता है। विनोद कुमार और उनके साथियों की कहानी बताती है कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी बदलाव मुश्किल नहीं होता।
यदि आप भी किसी बुरी आदत से जूझ रहे हैं, तो सोचिए—क्या किसी की एक डांट या एक सलाह आपकी ज़िंदगी को बदल सकती है? शायद हां।