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बुलंदशहर

आम की मिठास को निगल गया सरकारी बेरुखी और बदलता मौसम

फलपट्टी स्याना में बागबानों की बदहाली: न सुविधा, न सहारा, अब टूटने लगा है भरोसा

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स्याना की फलपट्टी में आम की खेती बदहाल: न सुविधाएं, न सहायता। पढ़िए क्यों बागबानों का सरकार से भरोसा उठता जा रहा है।

चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

बुलंदशहर(स्याना)। एक समय विदेशों में मिठास घोलने वाला स्याना-बुगरासी का आम आज सरकारी उपेक्षा और बदलते मौसम की मार झेल रहा है। वर्ष 1986 में फलपट्टी घोषित हुआ यह क्षेत्र अब सुविधाओं के लिए तरस रहा है।

अब तक नहीं मिला लाभ

प्रदेश सरकार ने प्रोसेसिंग यूनिट, पैकेजिंग हाउस और बिजली जैसी सुविधाएं देने की बात कही थी, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। बागबान अपने दम पर आम बेचने को विवश हैं।

मौसम और दवाओं से संकट

हर वर्ष बेमौसम बारिश, ओले और नकली दवाएं फसल को बर्बाद कर रही हैं। आम की पैदावार लगातार घटती जा रही है।

बागबानों की मांगें

1. आधुनिक पैकेजिंग हाउस

2. रोग-नियंत्रण की प्रमाणित दवाएं

3. परिवहन और मंडी सुविधा

4. हर गांव में स्प्रेयर मशीन

5. वार्षिक बजट प्रावधान

विधायक का आश्वासन

विधायक देवेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि समस्याओं का समाधान शीघ्र किया जाएगा। सरकार बागबानों को जैविक खेती की ओर बढ़ने को प्रेरित कर रही है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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