आजमगढ़ के कोठिया गांव में यदुवंश पाण्डेय के परिवार पर पूर्व प्रधान और उनके सहयोगियों ने घर में घुसकर जानलेवा हमला किया। महिलाओं से दुर्व्यवहार, तोड़फोड़ और धमकी का वीडियो सामने आया, फिर भी पुलिस चुप। न्याय के लिए पीड़ित परिवार की गुहार।
जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ ग्रामीणों को झकझोर कर रख दिया है बल्कि पुलिस प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला रानी की सराय थाना क्षेत्र के कोठिया ग्राम सभा का है, जहां यदुवंश पाण्डेय और उनके परिवार पर एक संगठित और भयावह हमला किया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पूर्व प्रधान और कथित भू-माफिया देवेंद्र पाण्डेय ने अपने पुत्रों सत्यम पाण्डेय और अमन पाण्डेय के साथ मिलकर, अपने बड़े भाई राघवेंद्र पाण्डेय और उनके पुत्रों – आलोक, भुवनेश्वर और अमित पाण्डेय के साथ यदुवंश पाण्डेय के घर पर धावा बोला। आरोप है कि इस पूरी टोली ने घर में घुसकर महिलाओं और बच्चियों के साथ दुर्व्यवहार किया, मारपीट की, गालियां दीं और यदुवंश पाण्डेय की धर्मपत्नी पर जानलेवा हमला कर दिया, जिससे वह बेहोश हो गईं।
इतना ही नहीं, हमलावरों ने यदुवंश पाण्डेय को भी बेरहमी से पीटा और अधमरी हालत में छोड़कर उनकी बहू की सोने की चेन छीन ली। घर में तोड़फोड़ की गई और पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी गई।
विडियो साक्ष्य के बावजूद पुलिस निष्क्रिय
घटना का वीडियो साक्ष्य भी मौजूद है, जिसमें हमले, छेड़छाड़ और तोड़फोड़ के दृश्य स्पष्ट तौर पर देखे जा सकते हैं। इसके बावजूद, पीड़ित परिवार का आरोप है कि रानी की सराय थाना पुलिस दो दिन बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। उल्टा, पीड़ितों का दावा है कि पुलिस आरोपी पक्ष से आर्थिक लाभ लेकर उन्हें संरक्षण प्रदान कर रही है।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस पर गंभीर आरोप
इस घटनाक्रम ने प्रशासनिक निष्क्रियता और भ्रष्टाचार को उजागर किया है। ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई हो, दोषियों को जल्द गिरफ्तार किया जाए और पीड़ित परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए।
पीड़ित परिवार का न्याय की गुहार
यदुवंश पाण्डेय और उनके परिवार ने शासन-प्रशासन से गुहार लगाई है कि उन्हें न्याय दिलाया जाए और दोषियों को तत्काल प्रभाव से हिरासत में लिया जाए। साथ ही, संबंधित पुलिसकर्मियों की भूमिका की निष्पक्ष जांच भी होनी चाहिए।