आजमगढ़ में सिंचाई विभाग के एक्सईएन अरुण सचदेव और जिलाधिकारी रविंद्र कुमार के बीच टकराव ने प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। एक्सईएन ने डीएम पर अभद्रता और मारपीट का आरोप लगाया है, वहीं डीएम ने लापरवाही का पलटवार किया है।
जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़। आजमगढ़ में सिंचाई विभाग के बाढ़ खंड के कार्यपालक अभियंता (EXEN) अरुण सचदेव और जिलाधिकारी (DM) रविंद्र कुमार के बीच विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। EXEN ने डीएम पर अभद्र व्यवहार और मारपीट का आरोप लगाते हुए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर आजमगढ़ में कार्य करने में असमर्थता जताई है। इसके जवाब में जिलाधिकारी ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और EXEN पर कर्तव्यों में लापरवाही का आरोप लगाया है।
आरोपों की शुरुआत कैसे हुई?
EXEN अरुण सचदेव के अनुसार, 13 जून को कलेक्ट्रेट में बुलाई गई बैठक के बाद उन्हें कैंप कार्यालय में बुलाया गया, जहां उनके साथ कथित तौर पर अभद्रता और मारपीट की गई। उन्होंने प्रमुख अभियंता (परिकल्प एवं नियोजन), मुख्य अभियंता, मंडलायुक्त, उपमहानिरीक्षक, अधीक्षण अभियंता, पुलिस अधीक्षक और इंजीनियर्स एसोसिएशन को पत्र भेजकर इस घटना की जानकारी दी है।
EXEN का कहना है कि बैठक में डीएम ने पिछले 15 वर्षों में बाढ़ प्रभावित गांवों और विस्थापित लोगों की संख्या की जानकारी मांगी थी। इसी के बाद उन्हें कैंप कार्यालय बुलाकर प्रताड़ित किया गया।
जिलाधिकारी ने क्या कहा?
जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने एक्सईएन के आरोपों को “निराधार और हास्यास्पद” करार दिया। उन्होंने बताया कि 25 मई को एसएसपी के साथ बाढ़ क्षेत्र का निरीक्षण किया गया था, जिसमें EXEN अरुण सचदेव बिना अनुमति के अनुपस्थित पाए गए। इस लापरवाही के कारण उनके वेतन पर रोक भी लगाई गई थी।
डीएम ने यह भी कहा कि बाढ़ संभावित गांवों की सूची कई बार मांगने के बावजूद अब तक नहीं सौंपी गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सचदेव ने फोन कॉल और मैसेज का जवाब तक नहीं दिया।
प्रशासनिक गलियारों में हलचल
इस विवाद ने आजमगढ़ के प्रशासनिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है। एक ओर जहां इंजीनियर्स एसोसिएशन इस मामले को लेकर सक्रिय नजर आ रही है, वहीं दूसरी ओर उच्च अधिकारियों को भेजे गए पत्र से मामला शासन स्तर तक पहुंच सकता है।
यह टकराव न केवल प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आपसी संवाद की कमी किस तरह बड़े विवाद का रूप ले सकती है। अब देखना यह है कि इस मामले में शासन क्या रुख अपनाता है और जांच के बाद किस पक्ष की बात को सही ठहराया जाता है। प्रदर्शित चित्र मात्र सांकेतिक है