मोहन द्विवेदी
जब हम जीवन के पहले शब्द बोलते हैं, तो अक्सर वह “माँ” होता है। माँ की ममता, उसकी गोद, उसकी लोरी – सब कुछ सहज ही स्मृति में बस जाता है। लेकिन एक और अस्तित्व है, जो हर कदम पर हमारे लिए छाया बनकर चलता है – पिता।
फादर्स डे केवल एक दिन का उत्सव नहीं है, यह उस व्यक्ति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर है, जो बिना कुछ कहे, जीवन भर हमारे लिए त्याग करता है। माँ जहाँ भावनाओं का प्रवाह है, वहीं पिता एक चट्टान की तरह अडिग, गंभीर और मौन रहने वाला वह व्यक्तित्व है, जो हर संकट से पहले खुद खड़ा होता है, ताकि हम तक कोई आंच न आए।
पिता की भूमिका: मौन तपस्वी की तरह
एक बच्चे के जीवन में पिता का स्थान अद्वितीय होता है। वे उस छायादार वृक्ष की भांति होते हैं, जो स्वयं धूप सहकर भी हमें ठंडक देते हैं। वे जीवन की कठोर सच्चाइयों से बच्चों को बचाने की कोशिश करते हैं, कभी सख्ती से, कभी चुपचाप सहन करके। पिता की ममता दिखावटी नहीं होती, वह गहराई में बहती नदी की तरह होती है – शांत, गूढ़ और निरंतर।
बहुत कम लोग यह समझ पाते हैं कि पिता का प्रेम उस अलक्षित छाया की तरह होता है, जो दिन-रात हमारे साथ चलती है लेकिन दिखती नहीं। वह बच्चे के लिए सुरक्षा कवच होता है, लेकिन स्वयं कभी सामने नहीं आता।
संस्कारों का बीज बोने वाला व्यक्ति
यदि माँ बच्चे के दिल में कोमलता और करुणा का संचार करती है, तो पिता उसमें आत्मबल, धैर्य और आत्मविश्वास भरता है। वह अपने कर्मों से सिखाता है कि मुश्किलें जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन उनसे डरना नहीं, जूझना है।
पिता वह शिक्षक होता है जो बिना क्लास लिए जीवन का पाठ पढ़ाता है। सुबह जल्दी उठकर काम पर जाना, समय पर हर जिम्मेदारी निभाना, परिवार की जरूरतों को पहले रखना – ये सब बातें पिता मौन रहकर भी सिखाते हैं।
पिता के त्याग का मूल्य
एक पिता तब भी चिंता करता है जब उसका बच्चा नींद में होता है। वह अपनी इच्छाओं को मार देता है, ताकि अपने बच्चे की एक छोटी सी खुशी पूरी कर सके। कई बार पिता खुद फटे जूते पहन लेता है, लेकिन अपने बेटे-बेटी के लिए नए कपड़े लाना नहीं भूलता।
कभी सोचा है – वह आदमी जो खुद डॉक्टर के पास नहीं जाता, कैसे अपने बच्चों के लिए इलाज का हर इंतजाम कर देता है? वह जो खुद दो वक्त की चाय भी बाहर नहीं पीता, बच्चों के शौक पूरे करने में कभी हिचक नहीं करता।
समय के साथ बदलती भूमिका
बचपन में पिता डर का पर्याय होते हैं, किशोरावस्था में वे संघर्ष के प्रतीक, और युवावस्था में प्रेरणा बन जाते हैं। धीरे-धीरे जब बेटा-बेटी बड़े होते हैं, तो पिता एक दोस्त में परिवर्तित हो जाते हैं। उनकी बातों में अनुभव की गहराई होती है, जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं।
फादर्स डे पर हमें यह समझने की जरूरत है कि पिता केवल कमाने वाला व्यक्ति नहीं, बल्कि वह भावनात्मक आधार भी है, जिसकी वजह से परिवार में स्थायित्व होता है।
अकेलेपन में खोया वह चेहरा
एक समय ऐसा आता है, जब वही पिता, जिसने हमारे लिए सब कुछ किया, एक कोने में चुप बैठा दिखाई देता है। उसे अब हमारी जरूरत नहीं होती, लेकिन वह अब भी हमें देखता रहता है – कभी टीवी के पीछे से, कभी बालकनी में बैठकर।
वह पूछता नहीं है, लेकिन जानना चाहता है – क्या बेटा ठीक है? क्या बेटी खुश है? वह खुद अकेलेपन से जूझता है, पर किसी से कुछ नहीं कहता।
इसलिए फादर्स डे केवल एक कार्ड या एक उपहार देने का दिन नहीं होना चाहिए। यह दिन एक गले लगाने का दिन है, एक “थैंक यू पापा” कहने का दिन है, और सबसे जरूरी – उनके साथ कुछ समय बिताने का दिन है।
फादर्स डे की प्रासंगिकता
आज जब परिवार एकल हो रहे हैं, बुजुर्ग माता-पिता अकेले पड़ते जा रहे हैं, तब फादर्स डे की अहमियत और भी बढ़ जाती है। यह सिर्फ एक ‘पश्चिमी परंपरा’ नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति के मूल में भी “पिता” को देवतुल्य माना गया है – “पिता स्वर्गः, पिता धर्मः, पिता हि परमं तपः”।
इसलिए जरूरी है कि इस दिन हम न केवल अपने पिता का सम्मान करें, बल्कि यह भी संकल्प लें कि उन्हें कभी अकेला महसूस नहीं होने देंगे।
पिता का महत्व समझिए, जब वे साथ हों
बहुत लोग कहते हैं कि उन्हें अपने पिता की अहमियत तब समझ आई जब वे चले गए। यह एक सबसे बड़ा पश्चाताप होता है – जो जीवन भर पीछा करता है।
जब पिता साथ हों – तब उनके साथ बैठिए, बात कीजिए, उनके अनुभवों को सुनिए। उनके संघर्षों की कहानी को जानिए। उन्हें केवल ATM मशीन समझने की भूल मत कीजिए। उनका सम्मान कीजिए, जैसा आप एक तपस्वी का करते हैं।
फादर्स डे: केवल एक दिन नहीं, एक भावना
फादर्स डे का मतलब है – हर उस पल को याद करना, जब पिता ने हमें थामकर रखा, जब उन्होंने खुद गिरकर हमें चलना सिखाया। उनका जीवन प्रेरणा है, उनका मौन एक पाठशाला है।
तो आइए, इस फादर्स डे पर केवल फूल, कार्ड या तोहफों तक सीमित न रहें। एक फोन कॉल, एक पुरानी तस्वीर, एक छोटा सा संदेश, या सिर्फ उनके पास बैठकर दो बातें करना – यही उनके लिए सबसे बड़ा उपहार होगा।
पिता वह रोशनी है, जो खुद जलकर हमें रास्ता दिखाता है। उनकी छांव में हम बड़े होते हैं, लेकिन अक्सर उनकी कीमत तब समझते हैं जब वह छांव हट जाती है।
इस फादर्स डे पर, आइए उन्हें वह प्रेम, सम्मान और समय दें, जिसके वे सच्चे हकदार हैं। उनके मौन को पढ़ें, उनके संघर्ष को जानें, और उनके साथ बिताए हर पल को धन्यवाद कहें।
“पिता को कभी कम मत आंकिए, क्योंकि उनकी चुप्पी में भी एक पूरी किताब छुपी होती है – बस पढ़ने के लिए समय चाहिए।”