राजापुर धाम के ब्राह्मण समाज ने स्वर्गीय रामबाबू तिवारी आत्महत्या प्रकरण को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन सौंपा। समाज ने 1 करोड़ की आर्थिक मदद, सरकारी नौकरी, सुरक्षा व्यवस्था और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट/राजापुर। तुलसीदास की जन्मस्थली राजापुर धाम एक बार फिर सामाजिक चेतना और न्याय की पुकार का केंद्र बना। राजापुर तहसील में एकत्र ब्राह्मण समाज ने उपजिलाधिकारी राम ऋषि रमन के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें ग्राम लोहदा (थाना सैनी, कौशाम्बी) निवासी स्वर्गीय रामबाबू तिवारी के परिवार को आर्थिक व सामाजिक न्याय दिलाने की पुरजोर मांग की गई।
पूरा घटनाक्रम — एक गहरी साजिश का पर्दाफाश
कुछ सप्ताह पूर्व स्वर्गीय बाबूराम तिवारी के पुत्र सिद्धार्थ तिवारी उर्फ़ घुन्नू को पास्को एक्ट के अंतर्गत झूठे और निराधार आरोपों में जेल भेजा गया। मेडिकल परीक्षण के दौरान न तो बलात्कार की पुष्टि हुई, न ही कोई ठोस प्रमाण मिले। इसके बावजूद, इस प्रकरण ने पूरे परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा को भारी आघात पहुंचाया।
इसी मानसिक दबाव और सामाजिक कलंक की पीड़ा में डूबे स्वर्गीय रामबाबू तिवारी ने आत्महत्या कर ली — एक ऐसा निर्णय जो पूरे समाज को झकझोर गया।
प्रदर्शन और पुलिसिया बर्बरता
उनकी आत्महत्या के बाद, सवर्ण आर्मी सहित क्षेत्रीय समाज के हजारों लोगों ने सड़क पर पार्थिव शरीर रखकर न्याय की मांग करते हुए धरना प्रदर्शन किया। लेकिन इस जनआक्रोश को संभालने के बजाय, कौशाम्बी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों — जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे — पर लाठियां बरसाईं, उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इसके साथ ही, प्रदर्शनकारियों पर गंभीर धाराओं में मुकदमे भी दर्ज कर लिए गए।
राजनीतिक साजिश और जांच के खुलासे
ज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया है कि यह पूरा षड्यंत्र ग्राम प्रधान भूपनारायण पाल और उसके परिजनों द्वारा चुनावी रंजिश के चलते रचा गया। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के हस्तक्षेप के बाद हुई जांच में यह पुष्टि भी हो चुकी है कि ग्राम प्रधान और उसका भाई ही पूरे फर्जी प्रकरण के सूत्रधार थे।
समाज की मांगें — न्याय, सहायता और सुरक्षा
ब्राह्मण समाज की ओर से मुख्यमंत्री से निम्नलिखित मांगें की गई हैं:
स्वर्गीय रामबाबू तिवारी के परिवार को एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।
परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
दोषी ग्राम प्रधान भूपनारायण पाल व उसके सहयोगियों को कठोर सजा दी जाए।
परिवार की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए व शस्त्र लाइसेंस प्रदान किया जाए।
ज्ञापन देने वालों में कौन-कौन शामिल रहे
इस ज्ञापन को सौंपते समय क्षेत्र के कई गणमान्य लोग मौजूद रहे, जिनमें वरिष्ठ समाजसेवी सुनील मिश्रा, अधिवक्ता आलोक पांडे, वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार उपाध्याय, राष्ट्रीय पत्रकार सुरक्षा परिषद के जिलाध्यक्ष अनिल देवरवा सहित मनीष मिश्रा, संजय मिश्रा, आशुतोष शुक्ला और अन्य लोग शामिल रहे।
यह प्रकरण न सिर्फ एक व्यक्ति या परिवार की त्रासदी है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र और न्याय व्यवस्था के समक्ष भी एक गहन प्रश्नचिन्ह है। अब देखना यह है कि सरकार इस सामाजिक आक्रोश और तथ्यात्मक साक्ष्यों के बीच किस दिशा में कदम उठाती है। न्याय केवल आश्वासनों से नहीं, ठोस कार्रवाई से मिलेगा — यही समाज की एकजुट पुकार है।