राकेश तिवारी की रिपोर्ट
मॉनसून की दगाबाजी से खरीफ की फसलें मुरझा रही हैं। बारिश न होने के चलते धान की सीधी बुवाई नहीं हुई। जिन्होंने बुवाई की भी, नमी के अभाव में धान का बीज अंकुरित होने से पहले ही मर गया। किसान मक्का, मूंगफली, तिल आदि फसलों की बुवाई ही नहीं कर सके। जून महीने में 87.40 तथा जुलाई महीने में महज 81.60 एमएम ही बारिश हुई है। अगस्त का पखवारा बीतने वाला है, लेकिन बारिश होने की उम्मीद नहीं दिख रही हैं। कई दिन आसमान में बादल छाये रहे, हल्की बूंदाबांदी तक रह गया।
इस साल खरीफ सीजन की शुरूआत में ही मौसम ने दगा दे दिया था। किसानों ने 10-12 सिंचाई कर धान की नर्सरी तैयार की और बरसात न होने से पानी चलाकर रोपाई की। तेज धूप और उमस भरी गर्मी के चलते धान की फसलें सूखने लगी। किसानों ने कुछ किसानों ने 3-4 बार पानी चलाकर धान को बचाये रखा। करीब डेढ़ महीने बाद 20 जून को बारिश होने पर किसानों को उम्मीद जगी। इसके बाद किसानों ने खेतों में यूरिया का छिड़काव किया और खरपतवार नाशी दवाओं का छिड़काव किया। कई किसानों ने मजदूर लगाकर खरपतवार की निराई भी की। लेकिन कुछ दिन बारिश के बाद मौसम ने फिर से दगा दे दिया है।
जून में जून माह में औसत बारिश 159.10 के सापेक्ष 87.40 एमएम तथा जुलाई महीने में 308.20 एमएम के सापेक्ष महज 81.60 एमएम ही हुई है। जून में 55 तथा जुलाई में 26.48 फीसदी ही बारिश हुई है। जबकि पिछले साल जून माह में 329.20 तथा जुलाई माह में 280.40 एमएम बारिश हुई थी। अगस्त महीने में मॉनसून सूखे का संकेत दे रहा है। कई किसान मौसम का रूख देखकर सूख रहे धान की फसलों को पलटने लगे हैं। किसान कुछ दिन बरसात होने पर यूरिया, निराई तथा खरपतवार नाशी दवाओं के छिड़काव पर पूंजी लगाकर पछता रहे हैं।
हीट स्ट्रोक से प्रभावित हुई रबी की फसल
रबी सीजन में दाना बढ़ने के समय की हीट स्ट्रोक का प्रकोप होने से दाना बढ़ने से पहले ही गेहूं की फसल सूख गयी। गेहूं का पैदावार 30 से 40 फीसदी तक कम हो गया। गेहूं के दाने पिचक कर पतले हो गये और उनमें कोई चमक नहीं रही। किसानों पर रबी में हीट स्ट्रोक की मार पड़ी तो खरीफ में मौसम ने दगा दे दिया।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."