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शामली

“ध्वनि” की चीखें दबा रहे हैं वो, जो बेटी बचाओ का नारा लगाते हैं

तीन साल तक खुद को जिंदा साबित करने की लड़ाई, अब जमीन के लिए जीवन दांव पर

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उत्तर प्रदेश के शामली जनपद की नाबालिग ध्वनि को अपने हक की 29 बीघा जमीन पाने और खुद को जीवित साबित करने में लगे तीन साल। बेटी बचाओ का नारा उस वक्त बेबस दिखा जब बीजेपी नेता ही बन गए न्याय में रोड़ा।

ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के शामली जनपद से एक हृदयविदारक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक नाबालिग बेटी ध्वनि अपने अधिकार और पहचान के लिए पिछले कई वर्षों से संघर्ष कर रही है। हैरानी की बात यह है कि इस बच्ची को न्याय दिलाने के रास्ते में खुद भाजपा नेताओं का नाम सामने आ रहा है।

ध्वनि की शुरुआत से ही संघर्षभरी कहानी

वर्ष 2009 में शामली के थाना आदर्श मंडी क्षेत्र के गांव सिलावर में जन्मी ध्वनि जब मात्र डेढ़ माह की थी, तभी उसके सिर से पिता प्रशांत उर्फ गोल्डी का साया उठ गया। दादा परमजीत सिंह ने अपनी 29 बीघा जमीन ध्वनि के नाम वसीयत कर दी और उसकी देखभाल की जिम्मेदारी दादी सविता को सौंप दी।

परिवार में शुरू हुई लालच की राजनीति

ध्वनि के माता-पिता की असामयिक मृत्यु के बाद जब वह अपनी वसीयत के अनुसार जमीन का हक लेने पहुंची, तो चचेरे दादा शरणवीर ने उसे प्रशांत की बेटी मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने न्यायालय में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र पेश कर यह साबित करने की कोशिश की कि ध्वनि अब इस दुनिया में नहीं है। ध्वनि को अपनी जीवितता सिद्ध करने में तीन वर्ष का लंबा संघर्ष करना पड़ा।

2024 में आया था राहत भरा फैसला

तीन साल तक चली सुनवाई के बाद शामली तहसील न्यायालय ने 2024 में फैसला सुनाया कि ध्वनि ही 29 बीघा जमीन की असली वारिस है। लेकिन जब वह और उसकी मां जमीन पर कब्जा लेने गईं, तो शरणवीर और उसके बेटों ने उन्हें रोक दिया।

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बीजेपी नेताओं पर गंभीर आरोप

ध्वनि और उसकी मां का आरोप है कि भाजपा के जिला अध्यक्ष तेजेंद्र निर्वाल और भट्ठा एसोसिएशन के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी इस मामले में लगातार बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। इतना ही नहीं, ध्वनि को जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है, जिससे डरकर उसने स्कूल जाना तक छोड़ दिया है।

मुख्यमंत्री योगी से न्याय की अंतिम उम्मीद

इस पूरे मामले को लेकर ध्वनि और उसकी मां ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने पत्र के माध्यम से सीएम को अपनी पूरी आपबीती सुनाते हुए अपील की है कि उन्हें न्याय दिलाया जाए, अन्यथा उनके पास आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।

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सांसद भी कर चुके हस्तक्षेप

बताया जा रहा है कि मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान ने भी भाजपा जिला अध्यक्ष से ध्वनि को न्याय दिलाने की बात कही थी, लेकिन जिला अध्यक्ष ने यह कहकर इनकार कर दिया कि वह शरणवीर के साथ हैं।

ध्वनि का यह मामला उत्तर प्रदेश में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों पर सवालिया निशान खड़ा करता है। जहां एक तरफ न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया है, वहीं दूसरी ओर सत्ता के प्रभावशाली लोग उस निर्णय को लागू नहीं होने दे रहे हैं। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बेटी की पुकार कब तक सुनते हैं और क्या उसे न्याय दिला पाएंगे।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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