चित्रकूट की मानपुर ग्राम पंचायत में आकाशीय बिजली से गरीब दलित महिला की छत ढह गई। गनीमत रही कि परिवार सुरक्षित रहा, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही ने पीड़ित को मुआवजा से वंचित कर दिया।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट/मानपुर। भीषण बारिश और आकाशीय बिजली की मार झेल रहे एक गरीब दलित परिवार की छत उस वक्त भरभरा कर गिर गई जब आकाशीय बिजली तेज़ गड़गड़ाहट के साथ गांव में गिरी। गनीमत यह रही कि घटना के समय घर में न तो महिला मौजूद थी और न ही उसके चार मासूम बच्चे। वरना यह हादसा एक बड़ी त्रासदी में तब्दील हो सकता था।
मानपुर ग्राम पंचायत निवासी फूलकुमारी पत्नी साहब दीन, जो कि एक आशा कार्यकर्ता हैं, ने बताया कि आकाशीय बिजली के गरजते ही उनका कच्चा मकान धराशायी हो गया। सौभाग्यवश, उस समय वे स्वयं और उनके बच्चे घर में नहीं थे। उन्होंने बताया, “यदि हम घर के अंदर होते तो शायद आज जिंदा न होते।”
परिवार पर टूटा मुसीबतों का पहाड़
फूलकुमारी का परिवार अत्यंत गरीब है और अनुसूचित जाति (चमार) से संबंध रखता है। पति साहब दीन दिहाड़ी मजदूरी कर किसी तरह परिवार का पेट पालते हैं। उनके चार बच्चे — ललित (17 वर्ष), नीलम (13 वर्ष), जितेन्द्र (10 वर्ष), और सूरज (8 वर्ष) — हैं, जो अब बारिश में प्लास्टिक की पन्नियों के सहारे अपने टूटे-फूटे घर में दिन काटने को मजबूर हैं।
लेखपाल और प्रधान की चुप्पी ने बढ़ाया संकट
जब इस मामले की जानकारी हल्का लेखपाल अशोक कुमार से मांगी गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें सूचना मिली है और वे शीघ्र मौके पर पहुंचकर जांच करेंगे, साथ ही शासन से यथासंभव मदद दिलाने की बात भी कही।
लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, घटना के कई दिन बीत जाने के बाद भी लेखपाल मौके पर नहीं पहुंचे। इसके चलते सरकारी सहायता की उम्मीदें भी धूमिल हो रही हैं। दुख की बात यह भी है कि गांव के प्रधान ने भी अब तक पीड़ित परिवार का हालचाल पूछने की ज़रूरत नहीं समझी।
प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल
इस तरह की घटनाएं जहां प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करती हैं, वहीं दैवीय आपदा से पीड़ित परिवारों की दशा और भी दयनीय हो जाती है। फूलकुमारी अब शासन-प्रशासन से गुहार लगा रही हैं कि उन्हें उचित मुआवजा और सहायता दी जाए ताकि वह अपने बच्चों के साथ दोबारा सामान्य जीवन जी सकें।