कानपुर में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां केडीए की कथित लापरवाही से परेशान नागरिक ने रिश्वत की रकम के लिए चेक काटकर डीएम को सौंपा। एक साल से भवन पंजीकरण को लेकर दौड़ रहे पीड़ित ने अब न्याय की गुहार लगाई है।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। दरअसल, कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) की कथित लापरवाही और रिश्वतखोरी से त्रस्त होकर एक नागरिक ने खुद रिश्वत की रकम का चेक काटकर डीएम को सौंप दिया, जिससे उसका काम जल्द पूरा हो सके।
एक साल से भवन पंजीकरण को लेकर परेशान है पीड़ित
कानपुर के हेमंत विहार निवासी नीरज गुप्ता ने बताया कि उन्होंने 7 जून 2024 को केडीए की एकल विंडो प्रक्रिया के तहत अपने भवन के पंजीकरण और फ्री होल्ड निष्पादन के लिए आवेदन किया था। लेकिन दुर्भाग्यवश, यह प्रक्रिया पिछले एक वर्ष से लंबित है।
नीरज का दावा है कि इस दौरान केडीए के विधि विभाग ने उनके आवेदन पर सकारात्मक कानूनी राय भी दे दी थी, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि उनके नाम पर फ्री होल्ड रजिस्ट्री की जा सकती है और इसमें किसी प्रकार की आपत्ति नहीं है। इसके बावजूद उनका कार्य आगे नहीं बढ़ सका।
बार-बार बुलाया गया, लेकिन समाधान नहीं निकला
नीरज गुप्ता ने बताया कि उन्होंने अपनी पीड़ा को लेकर कानपुर के जिलाधिकारी (डीएम) को भी प्रार्थना पत्र सौंपा था। इसके पश्चात डीएम द्वारा उन्हें और अन्य संबंधित व्यक्तियों को केडीए कार्यालय बुलाया गया, लेकिन वहां भी कोई ठोस समाधान नहीं निकला। नीरज का आरोप है कि केडीए के संबंधित ओएसडी द्वारा उन्हें बार-बार बुलाकर परेशान किया जा रहा है और रिश्वत की मांग की जा रही है।
मजबूरी में काटा रिश्वत का चेक
स्थिति से बेहद निराश और मानसिक रूप से परेशान नीरज गुप्ता शुक्रवार को 30 हजार रुपये की रिश्वत का बैंक चेक लेकर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। उन्होंने अर्जी में लिखा कि यदि काम करवाने के लिए रिश्वत जरूरी है, तो यह चेक संबंधित ओएसडी को भेज दिया जाए ताकि उनका कार्य पूरा हो सके।
प्रशासन ने लिया संज्ञान, मांगी गई रिपोर्ट
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम ने शिकायत को केडीए के वीसी को भेज दिया है और एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। अब देखना यह होगा कि क्या इस मामले में कोई सख्त कार्रवाई होती है या फिर यह भी अन्य फाइलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।
क्यों चर्चा में है यह मामला?
इस पूरे घटनाक्रम ने शहरभर में हलचल मचा दी है। आम जनता के बीच यह सवाल उठने लगे हैं कि यदि एक सामान्य नागरिक को अपना वैध कार्य कराने के लिए रिश्वत का चेक तक काटना पड़े, तो सरकारी संस्थानों की ईमानदारी और पारदर्शिता पर कितना विश्वास किया जा सकता है?
यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की पीड़ा नहीं, बल्कि सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनदेखी की बानगी है। अगर प्रशासन समय रहते इस पर कठोर कार्रवाई नहीं करता, तो आने वाले समय में आमजन का विश्वास सरकारी तंत्र से पूरी तरह उठ सकता है।