कानपुर में एक मुस्लिम परिवार द्वारा गर्भवती बेटी का जबरन अबॉर्शन कराने की कोशिश को हिंदू प्रेमी ने रोका। पुलिस और पंचों की मध्यस्थता से हुआ समझौता। जानिए कैसे यह प्रेम कहानी सामाजिक समरसता और इंसानियत की मिसाल बन गई।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
एक नजर में मामला ; उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न केवल मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया बल्कि सामाजिक समरसता की भी अद्भुत मिसाल पेश की है। एक मुस्लिम परिवार जब अपनी अविवाहित, गर्भवती बेटी को जबरन गर्भपात कराने के लिए कल्याणपुर के एक निजी अस्पताल ले गया, तो घटनाक्रम ने एक अप्रत्याशित मोड़ ले लिया।
युवती की गुहार और प्रेमी की दखलअंदाजी
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, जब युवती से एकांत में बातचीत की गई, तो उसने साफ कहा कि वह अपनी मर्जी से गर्भ नहीं गिराना चाहती है। परिजनों के दबाव में वह मजबूर थी। इसी बीच उसने अस्पतालकर्मियों से फोन मांगकर अपने हिंदू प्रेमी को सूचना दी। खबर मिलते ही युवक फौरन पुलिस को लेकर अस्पताल पहुंचा और मौके पर हंगामा हो गया।
पंचायती हस्तक्षेप: पुलिस की मौजूदगी में बनी बात
स्थिति को देखते हुए पुलिस ने दोनों पक्षों को पनकी रोड चौकी बुलाया। वहां करीब एक घंटे तक पंचायत चली, जिसमें मोहल्ले के बुजुर्गों, पुलिस अधिकारियों और परिजनों ने हिस्सा लिया। चर्चा में भावनात्मक और नैतिक पहलुओं को सामने रखा गया। अजन्मे बच्चे के अधिकारों पर भी बात हुई। अंततः युवती के परिजन बच्चे को जन्म देने और उसके पालन-पोषण पर सहमति देने को तैयार हो गए।
प्रेम कहानी ने तोड़ी मजहबी दीवारें
दिलचस्प बात यह है कि यह मामला दो पुराने दोस्तों के परिवारों से जुड़ा है। जूही क्षेत्र निवासी एक हिंदू युवक को अपने मुस्लिम मित्र की बहन से प्रेम हो गया। दोनों ने चुपचाप मंदिर में शादी भी कर ली थी, लेकिन युवती तब भी अपने घर में रह रही थी। गर्भ ठहरने के बाद यह रिश्ता उजागर हुआ और पारिवारिक विरोध शुरू हो गया। बावजूद इसके, दोनों प्रेमी अपनी संतान को बचाने की जिद पर अड़े रहे।
इंसानियत की जीत
यह केवल एक प्रेम कथा नहीं रही, बल्कि इंसानियत और आपसी समझ की जीवंत मिसाल बन गई। कल्याणपुर के इंस्पेक्टर सुधीर कुमार के अनुसार, किसी भी पक्ष ने अभी तक लिखित शिकायत नहीं दी है, लेकिन यदि कोई तहरीर मिलती है तो नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब भावनाएं, प्रेम और जीवन का सम्मान किसी भी सामाजिक या धार्मिक दीवार से ऊपर उठ जाता है, तब एक नई राह निकलती है — इंसानियत की राह। यह मामला न केवल प्रेमियों के साहस को दर्शाता है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा भी है कि संवाद और समझौते से हर जटिल समस्या का हल संभव है।