✅उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में बिजली चोरी पर चला विशेष अभियान। कानपुर में सबसे अधिक मामले, 8790 घरों में चोरी पकड़ी गई। विजिलेंस टीम की सक्रियता से फीडर लॉस में आई कमी।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
कानपुर – बिजली चोरी पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में चलाए जा रहे विशेष अभियान के बावजूद चोर नई तकनीकों से सिस्टम को चकमा दे रहे हैं। खासकर कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड (केस्को) क्षेत्र में सबसे अधिक बिजली चोरी के मामले सामने आए हैं, जहां अत्याधुनिक तकनीक और करोड़ों रुपये की लागत के बावजूद चोरी पर पूरी तरह रोक नहीं लग सकी है।
करोड़ों की तकनीक, फिर भी हार रही स्मार्ट व्यवस्था
एक ओर जहां 2023 से आरडीएसएस योजना के तहत केस्को में 475 करोड़ रुपये की लागत से अंडरग्राउंड केबलिंग, स्मार्ट मीटरिंग और हाई-लॉस फीडरों को अपग्रेड करने का कार्य जारी है, वहीं दूसरी ओर चोर इन तकनीकों को मात देने में सफल हो रहे हैं।
केस्को क्षेत्र में 20 नवंबर 2024 से 20 मई 2025 तक 1053 स्थानों पर छापेमारी की गई, जिसमें 870 स्थानों पर बिजली चोरी पकड़ी गई। चोरों द्वारा सर्विस केबल में कट मारकर, फर्जी पैनल, और बनावटी मीटर लगाकर चोरी की जा रही थी।
13 जिलों में चला अभियान, 10480 जगह छापेमारी
विजिलेंस विभाग द्वारा 13 जिलों में कुल 10480 स्थानों पर छापेमारी की गई, जिनमें से 8790 मामलों में बिजली चोरी पकड़ी गई। कानपुर के बाद सबसे अधिक मामले कन्नौज (811), ललितपुर (714), झांसी (690), और इटावा (671) में पाए गए।
यहाँ देखें जिलावार कार्रवाई का सारांश:
कानपुर 1053 870
कन्नौज 1004 811
ललितपुर 755 714
झांसी 752 690
इटावा 712 671
अन्य 8 जिले — —
कुल 10480 8790
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बेहतर, फिर भी चौंकाने वाले आंकड़े
कानपुर ग्रामीण क्षेत्र में 568 स्थानों पर छापे मारे गए, जिनमें 407 स्थानों पर बिजली चोरी पाई गई। वहीं, 1277 एफआईआर दर्ज की गईं।
विजिलेंस विभाग का दावा: चोरी में आई गिरावट
अपर पुलिस अधीक्षक (विजिलेंस) डॉ. राजेश कुमार तिवारी ने बताया कि “बीते कुछ महीनों में लगातार कार्रवाई के चलते लाइन लॉस वाले फीडरों की संख्या में कमी आई है। विभाग की टीमें लगातार दिन-रात छापेमारी कर रही हैं और यह अभियान आगे भी जारी रहेगा।”
🟢हालांकि, तकनीकी उपाय और करोड़ों की योजनाएं लागू की जा रही हैं, लेकिन मानव चतुराई के सामने सिस्टम अब भी चुनौती में है। विजिलेंस की बढ़ी कार्रवाई ने यह जरूर साबित किया है कि सख्ती बढ़ने पर चोरी में गिरावट संभव है, लेकिन इसके लिए निरंतर निगरानी और जनता की भागीदारी भी आवश्यक है।