चित्रकूट ज़िला उत्तर प्रदेश के बुंदेलखण्ड क्षेत्र में स्थित है, जिसका ऊँचाई पर स्थित पठारी भू–भाग (‘Patra Plateau’) और खड़ी ढाल (elevated plateau & hills) इसकी विशेष पहचान है । क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल लगभग 3,389 वर्ग किलोमीटर है जिसमें करवी, रामनगर, माणिकपुर आदि विकास खंड आते हैं । यहाँ की मिट्टी—रेतीली, दोमट, मृदुल—जल धारण ने वाली होती है: रेतीली ~8%, दोमट ~13%, दोमट मिट्टी ~10%, धीमी जलधारण वाली सिल्टी मिट्टी ~12% । पठारी भूगोल ग्रामीण जल उपलब्धता पर विपरीत असर डालता है।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
वर्षा और भूमिगत जल स्तर – मौजूदा स्थिति
वार्षिक वर्षा
– चित्रकूट में औसत वर्षा लगभग 676–1,100 मि.मी. होती हैं, औसतन ~815 मि.मी. ।
– वर्षा असमान है, मानसून आधारित; अनुपातिक वर्षा की कमी भूजल अन्याय को बढ़ाती है।
भूजल स्तर और स्थिरता
– क्षेत्र में करवी ब्लॉक ‘क्षितिज क्षेत्र’ (critical block) माना गया है तथा रामनगर को ‘अर्ध-क्षितिज’ (semi-critical) श्रेणी में रखा गया है ।
– 2012–13 से भूजल का गिरावट का ट्रेंड जारी है, विशेषकर पठारी ढलानों में ।
– भूजल विकास दर (Groundwater Development Stage) करवी ब्लॉक में लगभग 97.08% है—जो अत्यधिक रूप से निराशाजनक संकेत देता है ।
– बिहार की जल जीवन मिशन साइट से प्राप्त नलों की कोशिशों के बावजूद, सूक्ष्म जल स्तर विचलन गम्भीर परिणामों को इंगित करता है ।
पानी की उपलब्धता और गुणवत्ता—स्थानीय परिदृश्य
उपलब्ध संसाधन
– ग्रामीण क्षेत्रों में नल-जल, हैंडपंप, चेकडेम जैसे विकल्प हैं लेकिन सतही जल स्रोत अस्थायी हैं।
– मैदानों के विपरीत पठारी भूभाग में गहरे बोरवेल की जरूरत होती है, जिससे छोटे ग्रामीण परिवारों के लिए खर्च बड़ी बाधा बनता है।
वास्तविकता: भू-रिपोर्ट्स
– अंगूठा ऊपर नकली रिपोर्ट नहीं—दिल तोड़ने वाली स्थलीय कहानियाँ भी हैं: Tikuri जैसे गांवों में लोग दूषित पानी खींचकर पीते हैं, जिसे पशु भी इस्तेमाल करते हैं ।
– India Today की रिपोर्ट के अनुसार, योजना के बावजूद अभी भी कई गांवों में पानी नहीं पहुंच पाया है ।
सरकारी योजनाएँ: परिचय, क्रियान्वयन और प्रभाव
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission—JJM)
– 2019 से लागू, ‘हर घर नल से जल’ का लक्ष्य; 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में नल जल सुविधा देने का लक्ष्य ।
– उत्तर प्रदेश को 2021–22 में ₹2,400 करोड़ और 2020–21 में ₹2,571 करोड़ मिले ।
– प्रदेश में 44,142 योजनाएँ चल रही हैं, लगभग 2.23 करोड़ ग्रामीणों को लाभ हुआ है ।
चित्रकूट में स्थिति:
– जिले की आबादी लगभग 9.48 लाख है ।
– अप्रैल 2025 तक, जिला प्रशासन ने 71 गांवों के लिए Raipura Scheme में 1 intake well, 1 WTP, 24/Tanks, 11 reservoirs बनाएं; 52 गांवों में आपूर्ति शुरू है, बाकी में परीक्षण आधारित प्रक्रियाएं जारी हैं ।
– जल जीवन मिशन अवधारणा के अनुसार, जिला में यूनिवर्सल कवरेज की दिशा में तेजी से काम हो रहा है; DM का कहना है: “6 महीनों में पूरी सप्लाई लक्ष्यित” ।
प्रमुख चुनौतियाँ:
– भूजल अभाव और गुणवत्ता की चिंता बनी हुई है।
– कुछ बस्तियों में पाइपलाइन के रखरखाव और संचालन नहीं हो पा रहा।
बुंदेलखण्ड/विंध्य प्रायोजित राज्य जल–स्वच्छता मिशन (State Water & Sanitation Mission)
– 891 गावों में से 117 गांव पहले से कवर, और 419 गांवों को 5 नई योजनाओं से लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया हुआ है; कुल ₹1,215 करोड़ निवेश संभव ।
– योजनाओं का उद्देश्य सतही और भू-जल स्रोतों से पाइपलाइन आधारित सफाई जल पहुँचाना है; इसमें 10 साल की O&M कॉन्ट्रैक्ट शामिल है ।
अटल भूजल योजना (Atal Bhujal Yojana—ABY)
– दिसंबर 2019 में शुरू, दुनिया बैंक सहयोग से, उत्तर प्रदेश सहित 7 राज्यों की 26 ब्लॉकों में लागू (चित्रकूट, झांसी, महोबा, बांदा, हमीरपुर आदि) ।
– पांच वर्षों में उत्तरी ब्लॉक्स में भूजल स्तर में सुधार हुआ—ओवर एक्सप्लॉयटेड ब्लॉक्स 82 से घटकर 50 हुए; क्रिटिकल ब्लॉक्स 47 से 45 रहे ।
– ड्रिप और स्प्रिंकलर के माध्यम से सिंचाई में सुधार; जल संरक्षण योजनाओं हेतु समुदाय भागीदारी बढ़ी ।
खेत–तालाब योजना (Khet Talab Yojana)
– 2017 से यूपी में 37,403 फार्म-पोंड बने; ₹1.05 लाख प्रति छोटे तालाब की लागत, जिसमें ₹0.525 लाख किसान और राज्य सरकार दोनों का योगदान ।
– चित्रकूट जैसे भूजल अभाव वाले जिलों में यह योजना बारिश के जल को स्टोर करने में सहायक, और सिंचाई क्षमता बढ़ाने में कारगर साबित होती है।
PM–कुसुम और अन्य
– PM KUSUM के तहत किसान सोलर इरिगेशन पंप स्थापित कर सकते हैं; 60% सब्सिडी मिलती है ।
– इससे बिजली बिल कम, जल निकासी बेहतर, और डिज़ल–ड्रिवन पंप प्रतिस्थापित होते हैं, भूजल संरक्षण में योगदान होता है।
आंकड़ों में समग्र स्थिति
पहल / योजना शुरूआती स्थिति वर्तमान स्थिति लाभार्थी निवेश / बजट
JJM in UP 5.16 लाख घर 34 लाख घर (12.87%) ~2.23 करोड़ ग्रामीण ₹2,571–2,400 करोड़ प्रति वर्ष
चित्रकूट जिले में JJM केवल 117 गांव पहले से जुड़े 71 गांव में पाइपलाइन (52 पूर्ण) ~9.48 लाख आबादी में हिस्सेदारी Raipura Scheme + अन्य खर्च
SW&SM Mission 117 गांव +419 गांव कुल अनुमान: ~5 schemes ₹1,215 करोड़
ABY ब्लॉक्स में भूजल गिरावट ओवर एक्सप्लॉइटेड ब्लॉक्स 50 समुदाय आधार पर सुधार –
Khet Talab – 37,403 ponds UP में कृषि–सिंचाई में सुधार ₹1.05 लाख प्रति तालाब
चुनौतियाँ और सुधार की गुंजाइश
भूजल गिरावट तेज: करवी ब्लॉक में 97% विकास दर चिंताजनक—इसके लिए स्थायी भूमिगत जल पुनर्भरण योजना जरूरी है।
पाइपलाइन आपूर्ति असंगत: बुनियादी मैटेनेंस और संचालन मुद्दों से कई गांवों को पानी स्थाई रूप से नहीं मिल पाता।
गुणवत्ता जोखिम: सतही स्रोत दूषित; परीक्षण प्रणालियाँ अंडररिपोर्ट; अण्डरग्राउंड गुणवत्ता मापन डाटा सीमित।
आगामी मौसम परिवर्तनीयता: बुंदेलखण्ड में गर्मी और सूखा बढ़ रहा—जल संसाधनों का दबाव और अधिक होगा।
वित्तीय मंच: बजट पर्याप्त है, लेकिन स्थानीय खंडों में काम की गति धीमी है।
समुदाय जागरूकता: समुदाय-आधारित संरक्षण, जल उपयोग संस्कृति पर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
सुधारात्मक सुझाव
भूजल पुनर्भरण: ग्रामीण घरों के आँगन में रेनवाटर हार्वेस्ट, चेकडेम मानव निर्मित, पतली पत्थर-बाँध से तालाब संरक्षण।
स्थापित रखरखाव: जिले स्तर पर Operation & Maintenance के लिए प्रशिक्षित पंचायतें, कार्यदल हों।
जल गुणवत्ता मॉनिटरिंग: WTP के साथ नियमित पानी की जांच; BIS मानकों के अनुरूप परीक्षण रिपोर्ट।
कृषक-आधारित संरक्षण: Khet Talab, PM-KUSUM, कृषि-नलकूप को सौर ऊर्जा में बदल, ड्रिप/स्प्रिंकलर अपनाना।
सामुदायिक भागीदारी: स्कूल, पंचायत में जल पथ यात्रा व जागरूकता शिविर; कार्यकर्ता बनाना।
डाटा व निगरानी: जल संसाधन स्थानीय स्तर पर GIS आधारित मॉनिटरिंग; JJM और भूजल स्तर की ऑनलाइन जानकारी।
समन्वय: विभिन्न योजनाओं (JJM, ABY, Khet Talab) का क्रियान्वयन समन्वयित रूप से, जिला कार्रवाई योजना में शामिल।
चित्रकूट के पठारी इलाकों में पानी की समस्या बहुआयामी और गंभीर है, लेकिन सरकारी योजनाओं द्वारा इसके समाधान हेतु मजबूत बजट, तकनीकी हस्तक्षेप, और सामुदायिक भागीदारी की नींव रखी जा रही है। जल जीवन मिशन (JJM), अटल भूजल योजना (ABY), खेत-तालाब योजना, सतत भूमिगत जल प्रबंधन, और सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई इस दिशा में निर्णायक कदम हैं।
हालांकि, स्तरों में तेजी लाने, गुणवत्ता पर विशेष जोर देने, रखरखाव प्रणाली को मजबूत करने, और स्थानीय निगरानी विधान को सशक्त बनाने की आवश्यकता है। इन सुधारों के सकारात्मक कार्यान्वयन से चित्रकूट की पठारी क्षेत्र की पानी की समस्या का सामाजिक‑आर्थिक स्वास्थ्य में सुधार संभव है। अगले दो वर्षों में बेहतर समन्वय, तकनीकी रोजगार, सौर-जल प्रबंधन, और पंचायत सक्रियता इस क्षेत्र को ‘हर घर जल’ और ‘हर खेत जीवन’ तक पहुंचा सकते हैं।