राजापुर, चित्रकूट में सरकारी मानकों को दरकिनार कर संचालित हो रहा पशु बाजार अब तस्करी का केन्द्र बनता जा रहा है। जानिए कैसे शासन की अनदेखी और जिम्मेदारों की निष्क्रियता इस अवैध व्यापार को बढ़ावा दे रही है।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट(राजापुर)। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जनपद में नगर पंचायत राजापुर द्वारा संचालित पशु बाजार इन दिनों सुर्खियों में है—लेकिन वजह कोई सामान्य नहीं है। यह बाजार अब पशु व्यापार की बजाय तस्करी का केन्द्र बनता जा रहा है। सरकारी मानकों को दरकिनार कर यह बाजार जिस प्रकार संचालित हो रहा है, वह कई गंभीर सवाल खड़े करता है।
सरकारी दिशा-निर्देश हवा में, पशुओं के साथ क्रूरता चरम पर
वास्तविकता यह है कि बाजार में पशुओं को जिस तरह वाहनों में कचरे की तरह ठूसा जाता है, वह न केवल पशु क्रूरता अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि यह मानवीयता के भी विरुद्ध है। शासन के निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए पशु तस्करों ने बाजार की आड़ में एक बड़ा अवैध कारोबार खड़ा कर लिया है।
स्वास्थ्य सुविधाएं नदारद, जिम्मेदार बेखबर
पशुओं के स्वास्थ्य की जांच जैसी बुनियादी प्रक्रिया पूरी तरह अनुपस्थित है। न तो पशुपालन विभाग सतर्क दिखता है, न ही नगर पंचायत द्वारा कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। यही नहीं, बाजार के नवीनीकरण में भी सरकारी गाइडलाइंस की अनदेखी की गई है।
भैंस, पड़वा और गौवंश की तस्करी की पुष्टि
सूत्रों की मानें तो इस पशु बाजार में भैंस और पड़वा ही नहीं, बल्कि गौवंश की भी तस्करी की जा रही है। आशंका जताई जा रही है कि ये पशु तथाकथित शेल्टर होम के नाम पर कटान के लिए भेजे जा रहे हैं। यह न केवल गैरकानूनी है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने के लिए भी खतरा पैदा करता है।
एक ओर सरकार का शिकंजा, दूसरी ओर संरक्षण
जहां एक ओर राज्य सरकार पशु तस्करी पर नकेल कसने की कोशिश में जुटी है, वहीं दूसरी ओर नगर पंचायत राजापुर में तस्करों को खुला संरक्षण मिलता नजर आ रहा है। यह स्थिति प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाती है।
क्या जिला प्रशासन लेगा संज्ञान?
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या जिला प्रशासन इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेकर आवश्यक कार्यवाही करेगा? या फिर यह अवैध कारोबार यूं ही प्रशासनिक आंखों के सामने फलता-फूलता रहेगा?