
चित्रकूट के अरछा बरेठी गांव को हर साल बाढ़ से हो रहे भारी नुकसान से बचाने के लिए ग्रामीणों ने प्रशासन से नदी किनारे पत्थर पिचिंग की मांग की है। सिंचाई विभाग की अनदेखी पर जताया रोष।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट, पहाड़ी ब्लॉक। मंदाकिनी नदी के किनारे बसे अरछा बरेठी गांव को हर साल आने वाली बाढ़ से होने वाले व्यापक नुकसान से बचाने के लिए अब ग्रामीणों ने आवाज़ बुलंद कर दी है। बरसात के मौसम में जब मंदाकिनी नदी उफान पर होती है, तब यह गांव बुरी तरह बाढ़ की चपेट में आ जाता है। परिणामस्वरूप, अब तक सैकड़ों मकान ध्वस्त हो चुके हैं और अनेक परिवार बेघर हो गए हैं।
लगातार गुहार, फिर भी समाधान नहीं
युवा समाजसेवी शंकर प्रसाद यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले दो वर्षों से वे शासन और प्रशासन से इस गंभीर समस्या के समाधान हेतु लगातार मांग कर रहे हैं।
हालांकि, अभी तक किसी भी स्तर पर इस ओर ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हर बार आश्वासन जरूर मिलता है, लेकिन ज़मीनी हकीकत जस की तस बनी हुई है।
हर साल तबाही का मंजर
गांव के बुजुर्गों और स्थानीय निवासियों के अनुसार, बरसात आते ही मंदाकिनी नदी के किनारे बने घर सबसे पहले बाढ़ की चपेट में आते हैं। इससे लोगों को अपने ही गांव से पलायन तक करना पड़ता है। कई परिवार खेतों में अस्थाई डेरा डालकर किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं। इसके बावजूद, सिंचाई विभाग के अधिकारी इस गंभीर संकट को लेकर पूरी तरह उदासीन नजर आ रहे हैं।
समाधान की स्पष्ट मांग: पिचिंग ही है स्थायी उपाय
समाजसेवी शंकर यादव का कहना है कि यदि नदी के किनारों पर पत्थर से पिचिंग करा दी जाए, तो मिट्टी का कटाव रुक सकता है और जो घर अब भी बचे हैं, उन्हें सुरक्षित किया जा सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो यह समस्या और भी विकराल रूप ले सकती है, जिससे पूरा गांव तबाह हो जाएगा।
प्रशासन से अपेक्षित कार्रवाई
अब वक्त आ गया है कि शासन-प्रशासन इस समस्या की गंभीरता को समझे और शीघ्र नदी किनारे पिचिंग कार्य शुरू करवाए, ताकि आने वाले बरसात में गांव को एक और त्रासदी से बचाया जा सके। ग्रामीणों की मांग है कि इस बार सिर्फ कागजी कार्यवाही न हो, बल्कि ज़मीनी स्तर पर कार्य दिखाई दे।