
चित्रकूट के रामनगर ब्लॉक की ग्राम पंचायत बल्हौरा में बिना स्टीमेट इंटरलॉकिंग खड़ंजा का निर्माण कार्य जारी है। बाल श्रमिकों की मदद से हो रहे इस कार्य से बाल श्रम कानून की खुलेआम अनदेखी हो रही है। जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
रामनगर(चित्रकूट)। जिला चित्रकूट के आकांक्षी विकास खंड रामनगर में ग्राम पंचायत स्तर पर चल रही निर्माण गतिविधियों में गड़बड़झाले का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। ताज़ा मामला ग्राम पंचायत बल्हौरा से सामने आया है, जहां बिना स्टीमेट के इंटरलॉकिंग खड़ंजा का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस कार्य में नाबालिग मजदूरों से मजदूरी कराई जा रही है, जो कि स्पष्ट रूप से बाल श्रम कानून का उल्लंघन है।
ग्राम प्रधान के कारनामे आए सामने
पूर्व ग्राम प्रधान मिथलेश कुमारी की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में उनकी बहू ममता देवी ग्राम प्रधान निर्वाचित हुईं। लेकिन, प्रधान पद संभालते ही ममता देवी ने निर्माण कार्यों में पारदर्शिता को दरकिनार करते हुए बिना स्टीमेट ही इंटरलॉकिंग सड़क निर्माण शुरू करा दिया।
जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत बल्हौरा में शिवपूजन दर्जी के घर से पंडा रैदास के घर तक तथा रतीभान के घर तक करीब 100 मीटर लंबाई में इंटरलॉकिंग खड़ंजा बिछाया जा रहा है। यह कार्य राज्य वित्त और 15वें वित्त आयोग की धनराशि से किया जा रहा है।
बाल श्रम अधिनियम की उड़ रही धज्जियां
इस निर्माण कार्य को विद्याभूषण पांडेय नामक ठेकेदार अंजाम दे रहा है, जो खुलेआम नाबालिग बच्चों से मजदूरी करवा रहा है। यह न केवल शासन के निर्देशों का उल्लंघन है, बल्कि बाल श्रम अधिनियम के अनुसार एक गंभीर कानूनी अपराध भी है। इसके बावजूद न तो ग्राम प्रधान और न ही ठेकेदार किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से चिंतित दिखाई दे रहे हैं।
सचिव को नहीं है जानकारी
जब इस संदिग्ध निर्माण कार्य के बारे में पंचायत सचिव शिवम सिंह से बात की गई तो उन्होंने निर्माण कार्य की जानकारी से इनकार कर दिया। यह और भी चौंकाने वाली बात इसलिए है क्योंकि शिवम सिंह न केवल बल्हौरा के पंचायत सचिव हैं, बल्कि रामनगर ब्लॉक में सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) का कार्यभार भी संभाल रहे हैं।
लापरवाही या मिलीभगत?
एक ओर जहां सचिव को कार्य की जानकारी नहीं है, वहीं दूसरी ओर कार्य जारी है—यह दर्शाता है कि या तो अधिकारियों में गहरी लापरवाही है या फिर कहीं न कहीं कोई मिलीभगत। यदि बिना स्टीमेट कार्य हुआ है तो उसकी जांच और भुगतान पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।
क्या होगी जांच या फिर हो जाएगा भुगतान?
अब देखने वाली बात यह है कि क्या जिला प्रशासन इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेकर आवश्यक जांच व कार्रवाई करेगा? या फिर ग्राम प्रधान व ठेकेदार की मिलीभगत से बिना स्टीमेट और बाल श्रमिकों की मदद से कराए गए इस कार्य का भुगतान कर दिया जाएगा? यह सवाल अब ग्रामीणों की जुबान पर है।