
चित्रकूट की नंदरानी ने दहेज प्रताड़ना की शिकायत की, लेकिन महिला थाना प्रभारी ने धमकाया। मिशन नारी शक्ति की अनदेखी और पुलिस तंत्र की लापरवाही पर उठे सवाल। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नारी सुरक्षा और सशक्तिकरण के उद्देश्य से शुरू किए गए मिशन नारी शक्ति की जमीनी हकीकत तब उजागर हो गई जब चित्रकूट जिले के रगौली गांव की एक पीड़िता, नंदरानी, ने अपनी आपबीती साझा की। सदर कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत रगौली चौकी की निवासी नंदरानी ने जुलाई 2024 में रामप्रकाश नामक युवक के साथ प्रेम-प्रसंग के चलते आपसी सहमति से विवाह किया था।
हालात बदले, सपने टूटे
प्रारंभिक दिनों में ससुराल पक्ष द्वारा नंदरानी को आदर और सम्मान मिला, लेकिन कुछ ही महीनों में परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गईं। रामप्रकाश और उसके परिजन दहेज की मांग को लेकर उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगे। नंदरानी ने जब प्रताड़ना की शिकायत लेकर सदर कोतवाली, गनीवा चौकी और अंततः महिला थाना का दरवाजा खटखटाया, तो उसे न्याय की उम्मीद थी।
जब रक्षक ही बन जाए भक्षक
लेकिन हैरानी तब हुई जब महिला थाना प्रभारी ने पीड़िता को ही धमकाना शुरू कर दिया। नंदरानी के अनुसार, थाना प्रभारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा,
“अगर ज्यादा शिकायत करोगी तो तुम्हें और तुम्हारे मां-बाप को जेल भिजवा दूंगी।”
यह बयान न केवल मिशन नारी शक्ति की मूल भावना के खिलाफ है, बल्कि पीड़िता के संवैधानिक अधिकारों का भी घोर उल्लंघन है।
न्याय या धमकी: सवाल खड़ा करता है सिस्टम
अब सवाल यह उठता है कि क्या महिला थाना प्रभारी का कर्तव्य यही है कि वह पीड़ित को ही अपराधी बना दे? क्या मिशन नारी शक्ति का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण है या उन्हें चुप कराने का माध्यम बन चुका है?
अब क्या होगी कार्रवाई?
नंदरानी ने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है। आवश्यकता है कि पुलिस प्रशासन इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाए और दोषियों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई करे।
यदि समय रहते न्याय नहीं मिला, तो यह घटना समाज में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर बड़ा प्रश्नचिह्न छोड़ जाएगी।