कौशांबी के लोहन्दा गांव में ब्राह्मण परिवार के साथ कथित अन्याय के विरोध में सवर्ण आर्मी सक्रिय हुई। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को सौंपा ज्ञापन, 50 लाख मुआवजे सहित पांच प्रमुख मांगें रखीं।
सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट
बांदा। उत्तर प्रदेश के कौशांबी जनपद स्थित लोहन्दा गांव में ब्राह्मण परिवार के साथ हुए कथित अन्याय और जातीय भेदभाव की घटना को लेकर सवर्ण समाज में गहरा आक्रोश व्याप्त है। इसी क्रम में, सोमवार को सवर्ण आर्मी उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष सूरज प्रसाद चौबे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से लखनऊ में मिला। प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें एक ज्ञापन सौंपकर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने और आर्थिक सहयोग प्रदान करने की अपील की।
आरोप और आक्रोश
प्रतिनिधिमंडल ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि स्व. रामबाबू तिवारी को राजनीतिक साजिश के तहत एक फर्जी मुकदमे में फंसाया गया। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में एक आठ वर्षीय मासूम बच्ची को मोहरा बनाकर ब्राह्मण समुदाय को निशाना बनाया गया, जो न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि भारतीय सामाजिक मूल्यों और सनातन संस्कृति पर सीधा प्रहार भी है।
सवर्ण आर्मी की मुख्य मांगें
इस दौरान सवर्ण आर्मी ने राज्य सरकार के समक्ष निम्नलिखित पांच प्रमुख मांगें रखीं:
1. पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता अविलंब दी जाए।
2. परिवार के सदस्यों को आत्मरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस प्रदान किया जाए।
3. अगले छह महीनों तक राज्य सरकार पीड़ित परिवार को नियमित वित्तीय सहायता दे।
4. सवर्ण आर्मी पदाधिकारियों पर दर्ज मुकदमों को तत्काल वापस लिया जाए।
5. शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान बल प्रयोग करने वाले पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई हो।
सरकार और राजनीतिक दलों पर सवाल
प्रदेश अध्यक्ष चौबे ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सवर्ण समाज की भावनाओं को जानबूझकर आहत किया जा रहा है, और इस प्रकरण में कुछ राजनीतिक दलों की भूमिका अत्यंत निंदनीय रही है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में बेटियों को देवी का स्वरूप माना जाता है, परंतु राजनीतिक स्वार्थ के लिए उन्हें हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, जो अति दुर्भाग्यपूर्ण है।
चेतावनी और अगली रणनीति
अंत में चौबे ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि यदि जल्द ही मामले में निष्पक्ष जांच और न्यायोचित निर्णय नहीं लिए गए, तो सवर्ण आर्मी आंदोलन की राह पर आगे बढ़ेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस आंदोलन की संपूर्ण जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।
इस पूरे घटनाक्रम ने कौशांबी प्रकरण को न केवल प्रदेश स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक संवेदनशील सामाजिक-राजनीतिक मुद्दा बना दिया है। अब यह देखना अहम होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।