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चित्रकूट

“गोदहा नाले की जर्जर पुलिया: जान जोखिम में, प्रशासन बेपरवाह”

चित्रकूट की एक पुलिया, जो मौत बुला रही है – पर प्रशासन खामोश है

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चित्रकूट जिले के मानिकपुर–इटवा डुडैला संपर्क मार्ग की गोदहा नाले पर बनी पुलिया बुरी तरह जर्जर हो चुकी है। हजारों वाहन प्रतिदिन इस खतरे से गुजरते हैं, लेकिन प्रशासन और लोक निर्माण विभाग मौन हैं। यह रिपोर्ट जिम्मेदारों को जगाने का प्रयास है।

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट(बुंदेलखंड)। क्या एक पुलिया के गिरने का इंतजार किया जा रहा है? क्या जिम्मेदार अधिकारी तब जागेंगे जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा?

मानिकपुर से इटवा डुडैला और सतना को जोड़ने वाली इस मुख्य सड़क पर गोपीपुर गांव के पास स्थित गोदहा नाले की पुलिया इसी सवाल को जन्म दे रही है। वर्तमान में यह पुलिया इतनी जर्जर हो चुकी है कि इसका ध्वस्त होना अब केवल समय की बात लगती है।

प्रतिदिन हज़ारों वाहन, मौत से गुजरते हैं

इस संपर्क मार्ग से हर दिन हज़ारों की संख्या में भारी-भरकम ट्रक, बसें और अन्य वाहन गुजरते हैं। इनमें लदा माल ही नहीं, आम लोगों की जान भी इस जर्जर पुलिया के भरोसे चलती है। पुलिया के दोनों किनारे धीरे-धीरे धंसते जा रहे हैं। पुलिया के एक हिस्से में गहरा गड्ढा बन चुका है। इसके बावजूद न तो सावधानी के बोर्ड लगाए गए हैं, न कोई मरम्मत कार्य शुरू हुआ है।

बारिश में पुलिया पर बहता है बाढ़ का पानी

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स्थानीय निवासी स्वामीदीन बताते हैं कि बारिश के दौरान जब गोदहा नाले में पानी उफान पर होता है, तो यही पुलिया एक बड़ा खतरा बन जाती है। कई घंटे तक वाहन दोनों ओर खड़े रहते हैं, जब तक पानी उतर नहीं जाता। कई बार बच्चों, महिलाओं और बुज़ुर्गों को तेज़ बहाव में फंसे भी देखा गया है।

स्थानीय राहगीरों की चिंता – डर के साए में हर दिन का सफर

पुलिया के बारे में जब राहगीरों से पूछा गया तो उन्होंने साफ़ कहा कि इसके टूटने से मानिकपुर–इटवा डुडैला–सतना संपर्क मार्ग पूरी तरह बंद हो जाएगा।

एक राहगीर ने कहा –

“हर रोज़ लगता है कि ये पुलिया अब गिरी, अब गिरी। लेकिन अफसरों को जैसे फर्क ही नहीं पड़ता।”

लोक निर्माण विभाग की घोर लापरवाही

यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि राज्य सरकार ने सड़कों और पुलों की मरम्मत व देखभाल के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। बावजूद इसके लोक निर्माण विभाग के अधिकारी मौके पर झांकने तक नहीं आ रहे। सवाल उठता है कि ऐसी खतरनाक स्थिति के बावजूद आख़िर कौन जिम्मेदार है इस चुप्पी का?

अब सवाल यह नहीं कि कब गिरेगी पुलिया, सवाल यह है – क्या जागेगा प्रशासन?

वर्तमान हालात देखकर यह साफ है कि अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह पुलिया किसी दिन भारी नुकसान का कारण बन सकती है – जान और माल दोनों के लिए।

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यह केवल एक सड़क की बात नहीं है, बल्कि बुंदेलखंड के सैकड़ों गांवों से जुड़े हज़ारों लोगों की ज़िन्दगी और सुरक्षा का सवाल है।

अब वक्त आ गया है कि जिला प्रशासन मानिकपुर–इटवा डुडैला मार्ग पर बनी इस जर्जर पुलिया को लेकर तत्काल संज्ञान ले। मरम्मत कार्य शुरू किया जाए या नई पुलिया का निर्माण सुनिश्चित हो।

वरना यह ख़ामोशी किसी बड़े हादसे की आहट बन सकती है – और तब हम सबके पास अफसोस के अलावा कुछ नहीं बचेगा।

 

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Author: samachardarpan24

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