गोंडा जिले के करनैलगंज उप डाकघर में 67 लाख और मनकापुर में 33 लाख का डाक विभागीय घोटाला सामने आया है। 10 कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज, विभाग में मचा हड़कंप।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में डाक विभाग एक बड़े घोटाले से हिल गया है। करनैलगंज और मनकापुर के उप डाकघरों में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक रुपये के गबन का खुलासा हुआ है। खास बात यह है कि केवल करनैलगंज उप डाकघर में ही 67 लाख रुपये की फर्जीवाड़ा की घटना सामने आई है, जो विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े करती है।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
दरअसल, करनैलगंज क्षेत्र के कई खाताधारकों ने शिकायत की थी कि उनके खाते में जमा की गई रकम का कोई रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है। इसके बाद जब डाक निरीक्षक सुरेश कुमार सोनकर ने मामले की जांच शुरू की, तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। जांच में पता चला कि कर्मचारियों ने खाताधारकों से नकद पैसे लेकर पासबुक में हाथ से फर्जी इंट्री कर दी थी, लेकिन वह रकम वास्तव में खातों में जमा नहीं की गई थी।
कौन-कौन हैं आरोपी?
घोटाले की पुष्टि होने के बाद डाक निरीक्षक ने 10 कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, जिनमें से कुछ पहले से ही निलंबित चल रहे हैं। आरोपी कर्मचारियों के नाम हैं:
राहुल शुक्ला (तत्कालीन डाक सहायक), रामपाल द्विवेदी, भुवनेश कुमार कुशवाहा, दीपक कुमार सिंह, सुधीर कुमार वर्मा (उप पोस्टमास्टर), आशीष श्रीवास्तव, धीरेंद्र कुमार वर्मा, हरिहरनाथ सिंह, बसंत कुमार, राघवेंद्र कुमार पांडेय
इनमें से कुछ कर्मचारियों का तबादला हो चुका है, कुछ निलंबित हैं और एक (हरिनाथ सिंह) सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
इससे पहले मनकापुर में भी सामने आया था 33 लाख का घोटाला
गौरतलब है कि सिर्फ एक सप्ताह पहले ही मनकापुर उप डाकघर में 33 लाख रुपये की हेराफेरी का मामला उजागर हुआ था। उस मामले में भी संबंधित कर्मचारी फरार चल रहे हैं, जिससे पूरे डाक विभाग में हड़कंप मच गया है।
क्या कहती है पुलिस?
प्रभारी निरीक्षक श्रीधर पाठक ने बताया कि संबंधित 10 कर्मचारियों के खिलाफ गबन समेत अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच उपनिरीक्षक बब्बन सिंह को सौंपी गई है, जो हर पहलू से जांच कर रहे हैं।
इस घोटाले ने डाक विभाग की साख पर गहरी चोट पहुंचाई है। लगातार सामने आ रहे वित्तीय घोटाले यह स्पष्ट करते हैं कि विभागीय निगरानी तंत्र में गंभीर खामियां हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन दोषियों को कब तक पकड़कर सजा दिला पाता है।