अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के खिलाफ की गई विवादित टिप्पणी को लेकर मामला गरमा गया है। समाजवादी पार्टी (सपा) की मीडिया सेल द्वारा सोशल मीडिया पर की गई आपत्तिजनक पोस्ट के जवाब में, अधिवक्ता प्रशांत सिंह अटल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सपा मीडिया सेल से जुड़े तीन प्रमुख पदाधिकारियों को कानूनी नोटिस जारी किया है।
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आपत्तिजनक टिप्पणी और कानूनी कार्रवाई
शनिवार को सपा की सोशल मीडिया टीम ने एक विवादित पोस्ट करते हुए लिखा था कि “ब्रजेश पाठक का डीएनए सोनागाछी और जीबी रोड का है।” इस पोस्ट को न सिर्फ निजी हमला माना गया, बल्कि इसे स्त्री-विरोधी और अशोभनीय भाषा का भी उदाहरण बताया गया।
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इसके जवाब में अधिवक्ता प्रशांत सिंह अटल ने बताया कि यह टिप्पणी मानहानि की श्रेणी में आती है, खासकर तब जब यह एक लोकप्रिय जननेता के खिलाफ की गई हो। उन्होंने कहा:
“मैंने समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल से जुड़े तीन लोगों को कानूनी नोटिस भेजा है, जिनमें एक प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल हैं। उन्हें 15 दिन में सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का अवसर दिया गया है। ऐसा न करने पर आपराधिक और सिविल दोनों तरह के मानहानि के मुकदमे दायर किए जाएंगे।”
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डिप्टी सीएम का पलटवार
ब्रजेश पाठक ने सपा की इस टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव और सांसद डिंपल यादव से सीधे सवाल पूछा:
“क्या वे इस स्त्री-विरोधी और पतित मानसिकता को स्वीकार करेंगे? क्या यही समाजवादी पार्टी की भाषा है?”
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अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया
विवाद को तूल पकड़ता देख सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“हमने पार्टी स्तर पर उन लोगों को समझाने की बात कही है जो आपकी ‘अति अशोभनीय टिप्पणी’ से आहत होकर अपना आपा खो बैठे। हम आशा करते हैं कि आप भी अपनी बयानबाजी पर विराम लगाएंगे, क्योंकि आपके पद की गरिमा और शालीनता का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।”
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क्या राजनीति में भाषा की गरिमा खत्म हो रही है?
यह मामला राजनीति के साथ-साथ साइबर शिष्टाचार और राजनीतिक मर्यादा को लेकर भी नई बहस छेड़ता है। जहां एक ओर भाषा की मर्यादा की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर मानहानि जैसे संवेदनशील कानूनी पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित हुआ है। आगामी दिनों में यह देखना रोचक होगा कि मामला किस दिशा में बढ़ता है।