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योगी सरकार का मास्टरस्ट्रोक : अब विवाहित बेटियों को भी मिलेगा कृषि भूमि में हक !

राजस्व संहिता की धारा 108 में बेटियों के साथ भेदभाव कैसे हो रहा था, जानिए पूरी जानकारी।

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उत्तर प्रदेश में योगी सरकार विवाहित बेटियों को पिता की कृषि भूमि में अधिकार देने की तैयारी में है। प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट में मंजूरी मिल सकती है। जानिए क्या हैं मौजूदा नियम और यह बदलाव क्यों है अहम।

संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की बेटियों के लिए योगी सरकार जल्द ही एक बड़ा तोहफा लेकर आ सकती है। राज्य सरकार विवाहित बेटियों को भी पिता की कृषि भूमि में अधिकार देने के प्रस्ताव पर गंभीरता से काम कर रही है। इस दिशा में राजस्व परिषद ने एक विस्तृत मसौदा तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही योगी कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो यह प्रस्ताव जल्द ही कानून का रूप ले सकता है।

वर्तमान प्रावधान क्या कहते हैं?

फिलहाल उत्तर प्रदेश की राजस्व संहिता की धारा 108 के अनुसार, पिता की कृषि भूमि पर पहला अधिकार बेटे और पत्नी का होता है। यदि बेटा न हो, तो पत्नी और अविवाहित बेटी को संपत्ति में अधिकार मिलता है। केवल उसी स्थिति में विवाहित बेटी को अधिकार मिलता है, जब न तो बेटा हो, न पत्नी और न ही अविवाहित बेटी।

दूसरी ओर, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में विवाहित बेटी को पहले से ही पिता की कृषि भूमि में बराबर का हक प्राप्त है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में यह बदलाव लंबे समय से प्रतीक्षित था।

प्रस्ताव को कानून बनने में कितने चरण होंगे?

यह प्रस्ताव केवल एक मसौदा नहीं, बल्कि एक विस्तृत प्रक्रिया से गुजरेगा:

1. विधि एवं न्याय विभाग से रायशुमारी की जाएगी।

2. विधायी विभाग से कानूनी सलाह ली जाएगी।

3. वित्त विभाग से एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लिया जाएगा।

4. इसके बाद कैबिनेट में प्रस्ताव रखा जाएगा।

5. कैबिनेट की मंजूरी के पश्चात विधानमंडल के दोनों सदनों से पारित कराना होगा।

6. अंत में राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह नियम प्रभाव में आ सकेगा।

यह महत्वपूर्ण है कि यह अधिकार केवल नए उत्तराधिकार मामलों में लागू होगा—यानी नियम लागू होने की तिथि के बाद उत्पन्न होने वाले उत्तराधिकार विवादों पर ही यह लागू होगा।

क्यों जरूरी है यह बदलाव?

कई विशेषज्ञों का मानना है कि विवाहित बेटियों के लिए यह अधिकार सामाजिक न्याय की दिशा में एक अहम कदम होगा। तलाकशुदा या विधवा बेटियों के लिए कृषि भूमि में हिस्सेदारी जीवन यापन का मजबूत सहारा बन सकती है। राजस्व परिषद के सामने अक्सर ऐसे मामले आते हैं जहां विवाहित बेटियां अपने अधिकार की मांग करती हैं, लेकिन वर्तमान कानून उन्हें इससे वंचित रखता है।

विरोध के स्वर भी मौजूद

हालांकि इस फैसले को लेकर राजस्व बार एसोसिएशन, लखनऊ ने चिंता जताई है। अध्यक्ष संतोष त्रिपाठी का कहना है कि इस बदलाव से परिवारों में संपत्ति विवाद बढ़ सकते हैं। उनके अनुसार, अभी तक संपत्ति में हिस्सा न होने की वजह से भाई-बहन के रिश्तों में मिठास बनी रहती है, लेकिन नया कानून पारिवारिक तनाव को जन्म दे सकता है।

राजनीतिक नजरिए से भी अहम

इस प्रस्ताव को आगामी 2027 विधानसभा चुनाव से पहले महिला वोट बैंक को साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। सरकार पहले ही महिलाओं के नाम संपत्ति की रजिस्ट्री पर स्टांप ड्यूटी में छूट दे चुकी है। ऐसे में विवाहित बेटियों को कृषि भूमि में अधिकार देना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक और बड़ा कदम साबित हो सकता है।

अगर योगी सरकार यह कानून लागू करती है, तो यह उत्तर प्रदेश की महिलाओं के लिए सामाजिक और आर्थिक रूप से एक क्रांतिकारी फैसला साबित होगा। वहीं राजनीतिक दृष्टिकोण से यह कदम महिला मतदाताओं को साधने में गेमचेंजर बन सकता है। अब देखना यह है कि यह प्रस्ताव कितनी तेजी से मंजूरी की प्रक्रिया पार करता है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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