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19 December 2024 4:52 am

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राजस्व विभाग और भूमाफियाओं की मिलीभगत से सरकारी ज़मीनों पर अवैध प्लॉटिंग का बड़ा घोटाला

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

लखनऊ। योगी सरकार में भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के दावों के बीच, लखनऊ के सरोजिनी नगर तहसील क्षेत्र में सरकारी ज़मीनों पर बड़े पैमाने पर अवैध कब्जों का मामला सामने आया है। राजस्व विभाग के अधिकारियों और लेखपालों की संलिप्तता से भूमाफिया धड़ल्ले से ग्राम पंचायतों, तालाबों और चकरोड की भूमि पर कब्जा कर रहे हैं। इन अवैध गतिविधियों से करोड़ों रुपये का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है, जबकि शिकायतों के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।

घोटाले का केंद्र: बंथरा का धावापुर क्षेत्र

बंथरा नगर पंचायत के अंतर्गत स्थित धावापुर ग्राम पंचायत में सरकारी तालाबों और ग्राम पंचायत की ज़मीनों पर अवैध प्लॉटिंग का खेल राजस्व विभाग के संरक्षण में चल रहा है। स्थानीय निवासियों द्वारा तहसील दिवस में कई बार उपजिलाधिकारी को लिखित शिकायतें दी गईं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

प्रापर्टी डीलर नदीम अब्दुल हसन सिद्दीकी, निवासी भदेवा, लखनऊ, पर आरोप है कि उसने धावापुर के सरकारी तालाब (गाटा संख्या 144) में अवैध रूप से पार्क और झूले लगाकर ग्रीन सिटी के नाम पर ज़मीन पर कब्जा किया। साथ ही, दूसरे सरकारी तालाब (गाटा संख्या 228) को मिट्टी भरकर कब्जाने का आरोप है। इसके अलावा, जंगल ढांक की सरकारी ज़मीन (गाटा संख्या 117) पर भी अवैध कब्जा किया गया है।

बड़े पैमाने पर अवैध प्लॉटिंग और प्रशासन की निष्क्रियता

मौके पर जाकर निरीक्षण करने से स्पष्ट होता है कि बड़े पैमाने पर अवैध प्लॉटिंग हो रही है। हैरानी की बात यह है कि क्षेत्रीय उपजिलाधिकारी, सरोजिनी नगर, इन भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे हैं। इसके पीछे सत्ता में बैठे कुछ रसूखदार नेताओं और दबंगों का संरक्षण बताया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, 2014 से 2024 के बीच लगभग 80% सरकारी तालाबों और ग्राम पंचायत की ज़मीन पर अवैध कब्जा हो चुका है। लेखपालों, ग्राम प्रधानों और राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से इन ज़मीनों को भूखंडों में बदलकर बेच दिया गया, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है।

किशनपुर कोड़ियां में मिट्टी खनन माफिया का खेल

किशनपुर कोड़ियां क्षेत्र में भी सरकारी ज़मीनों पर अवैध कब्जे की घटनाएं सामने आ रही हैं। उत्कर्ष पेट्रोल पंप के मालिक पर आरोप है कि उसने मिट्टी खनन माफियाओं से साठगांठ कर सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा करने की कोशिश की। रातों-रात मिट्टी भराई का काम डंपरों के माध्यम से किया जा रहा है, जिससे सरकारी भूमि पर अवैध प्लॉटिंग हो सके।

सरकार को चाहिए कि इन मामलों की जांच किसी सक्षम और ईमानदार अधिकारी से कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। दोषी अधिकारियों और भूमाफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और सरकारी राजस्व की क्षति की भरपाई की जा सके।

लगातार मीडिया में इस मुद्दे की खबरें प्रकाशित हो रही हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता के चलते स्थानीय लोगों में भय और असंतोष बढ़ता जा रहा है। अगर यही स्थिति रही तो आने वाले समय में ग्राम पंचायत और नगर पंचायतों से सरकारी ज़मीनों का नामोनिशान मिट जाएगा।

योगी सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि भ्रष्टाचार और भूमाफियाओं पर कैसे लगाम लगाई जाए ताकि ‘रामराज्य’ का उनका वादा धरातल पर उतर सके।

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