चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
यूपी सरकार जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने जा रही है। अब मालिकाना हक की जांच, आधार-पैन लिंकिंग और खतौनी में नामांकन की प्रक्रिया रजिस्ट्री से पहले होगी। जानें विस्तार से।
अब रजिस्ट्री से पहले होगा मालिकाना हक का सत्यापन
उत्तर प्रदेश सरकार अब जमीनों की रजिस्ट्री प्रक्रिया को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। योगी सरकार जमीनों के फर्जी बैनामे रोकने के लिए अब रजिस्ट्री से पहले संपत्ति की गहन जांच कराएगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी न हो पाए।
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वर्तमान व्यवस्था में संपत्ति के रजिस्ट्री के समय उसका कोई पूर्व सत्यापन नहीं होता। इस खामी का फायदा उठाकर जालसाज फर्जी दस्तावेजों के जरिए एक ही जमीन की कई बार रजिस्ट्री करा लेते हैं। लेकिन अब इस व्यवस्था में बदलाव की तैयारी है। रजिस्ट्री कराने वाले व्यक्ति के संपत्ति पर मालिकाना हक की जांच की जाएगी।
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इसके साथ ही आधार और पैन कार्ड को रजिस्ट्री के समय लिंक कराना अनिवार्य करने की योजना भी बनाई जा रही है। इस कदम से रजिस्ट्री प्रक्रिया और अधिक सुरक्षित और ट्रेस करने योग्य बन जाएगी।
खतौनी में तुरंत नाम दर्ज करने पर विचार
राजस्व विभाग के सहयोग से रजिस्ट्री के तुरंत बाद खतौनी में नाम दर्ज करने की भी योजना बनाई जा रही है। इसके लिए एक कमेटी गठित की गई है जो अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करेगी। हरियाणा जैसे राज्यों में रजिस्ट्री के तुरंत बाद भूलेख पोर्टल पर मालिक का नाम दर्ज कर दिया जाता है, जिससे फर्जीवाड़ा रुकता है।
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सैटेलाइट फोटो और डिजिटल दस्तावेज की योजना
भविष्य में संपत्ति के रजिस्ट्री दस्तावेज में सैटेलाइट इमेज भी जोड़ी जाएगी, जिससे संपत्ति का स्थान और स्थिति स्पष्ट रहेगी। यह एक तकनीकी पहल है जिससे दस्तावेजों की प्रामाणिकता और बढ़ेगी।
अब कॉर्पोरेट ऑफिस जैसे होंगे रजिस्ट्री कार्यालय
सरकार उप निबंधक कार्यालयों को कॉर्पोरेट ऑफिस की तर्ज पर विकसित करने जा रही है। पहले चरण में 100 कार्यालयों को एसी, स्वच्छ पानी, व्हीलचेयर, हेल्पडेस्क, मीटिंग रूम और महिलाओं के लिए बाल कक्ष जैसी सुविधाओं से लैस किया जाएगा।
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प्रदेश में वर्तमान में 380 उप निबंधक कार्यालय हैं, जिनमें से 48 नए बनाए जा रहे हैं। वर्तमान कार्यालयों की स्थिति खराब है, जबकि सरकार को इनसे सालाना 40,000 करोड़ रुपये स्टांप शुल्क के रूप में प्राप्त होता है।
PPP मोड पर होगा विकास, निजीकरण नहीं
रजिस्ट्री कार्यालयों के आधुनिकीकरण के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर कार्य किया जाएगा। इस पर कुछ स्थानों पर वकीलों द्वारा निजीकरण का भ्रम फैलाया गया है, जिसे सरकार ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है।
स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा कि “निजीकरण का कोई इरादा नहीं है। केवल सुविधाएं बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है, ताकि करदाता को बेहतर अनुभव मिल सके।”
डिजिटल सुविधा: ऑनलाइन स्लॉट बुकिंग प्रस्तावित
भविष्य में पासपोर्ट ऑफिस की तर्ज पर ऑनलाइन स्लॉट बुकिंग की सुविधा भी प्रस्तावित है, जिससे नागरिक पहले से समय लेकर रजिस्ट्री करा सकें और भीड़-भाड़ से बच सकें।