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पुराना तालाब, नया नाम, वही भ्रष्टाचार: अमृत सरोवर 2 बना घोटाले का गढ़

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चित्रकूट(मानिकपुर)। सरकार द्वारा तालाबों के संरक्षण, गहरीकरण और सौंदर्यीकरण को लेकर अमृत सरोवर योजना शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य था जल संरक्षण को बढ़ावा देना और स्थानीय लोगों को उपयोगी जल स्रोत उपलब्ध कराना। हालांकि, इस योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

दरअसल, नगर पंचायत मानिकपुर के पुराना तालाब में हुए विकास कार्यों में भारी भ्रष्टाचार सामने आया है। पहले नगर पंचायत द्वारा तालाब के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर निर्माण कार्य कराया गया था, लेकिन अब सी एंड डी एस यूनिट 48, बांदा ने पुनः उसी तालाब को अमृत सरोवर 2 का नाम देकर दोबारा निर्माण कार्य कराया, जिसमें कई सरकारी मानकों की अनदेखी की गई।

निर्माण कार्य में मानकों की अनदेखी

जानकारी के अनुसार, पहले तालाब का गहरीकरण, भीटा निर्माण और घाटों का कार्य कराया गया था। परंतु, कुछ ही समय में इन निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की पोल खुल गई — घाटों की दीवारें टूटने लगीं और निर्माण कार्य ध्वस्त होने लगे। इसके बावजूद, बिना किसी ठोस जांच या रिपोर्ट के दोबारा उसी तालाब पर काम शुरू कर दिया गया।

ठेकेदार की मनमानी और सरकारी धन की बर्बादी

इस बार ठेकेदार सुनील बाबू गुप्ता (क्योटरा, बांदा) द्वारा किए गए कार्यों में बैठने के लिए शेड, भीटों में इंटरलॉकिंग खड़ंजा, और किनारों पर जाली लगाने जैसे कार्य किए गए हैं। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये सभी कार्य बेहद घटिया गुणवत्ता के हैं और इनमें मानकों की पूरी तरह अनदेखी की गई है।

लागत और समयसीमा पर सवाल

अमृत सरोवर 2 के नाम पर इस तालाब के विकास कार्य के लिए कुल लागत ₹116.59 लाख निर्धारित की गई थी और कार्य की समयसीमा एक वर्ष तय की गई थी। हालांकि, ठेकेदार ने कार्य पूर्ण कर भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

बड़ा सवाल: दो बार क्यों हुआ निर्माण?

सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि जिस तालाब पर पहले ही लाखों रुपये खर्च हो चुके थे, उसी को दोबारा अमृत सरोवर 2 का नाम देकर नया निर्माण कार्य क्यों कराया गया? क्या यह सिर्फ सरकारी धन को ठिकाने लगाने की योजना नहीं थी?

अब क्या करेगा जिला प्रशासन?

अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले में संज्ञान लेकर अमृत सरोवर योजना के तहत हुए भ्रष्टाचार की जांच कराएगा या फिर भ्रष्टाचार में लिप्त ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारी बच निकलेंगे। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह योजना भी अन्य योजनाओं की तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगी।

मानिकपुर का अमृत सरोवर 2 भ्रष्टाचार की जीती-जागती मिसाल बन चुका है। यदि प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो यह उदाहरण अन्य योजनाओं के लिए एक खतरनाक संकेत साबित हो सकता है।

➡️संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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