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November 22, 2024 4:06 am

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ग्राम पंचायत बघौड़ा में लाखों की लागत से बने इंटरलॉकिंग खड़ंजा में भ्रष्टाचार, बिना बस्ती के कराया निर्माण कार्य

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संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

सरकारी योजनाओं के तहत विकास कार्यों के नाम पर धन का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की घटनाएं लगातार सामने आती रहती हैं, जिसमें अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से आम जनता का हक छीना जा रहा है। ऐसा ही एक मामला चित्रकूट के मानिकपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत बघौड़ा में सामने आया है, जहां विधायक निधि से लगभग 8 लाख रुपये की लागत से इंटरलॉकिंग खड़ंजा का निर्माण कराया गया है।

इस खड़ंजा की लंबाई 140 मीटर और चौड़ाई 3 मीटर है, और इसका निर्माण ग्रामीण अभियंत्रण विभाग द्वारा ठेकेदार श्रीमती उर्मिला देवी के माध्यम से कराया गया। इस परियोजना की देखरेख अवर अभियंता भागवत प्रसाद मिश्रा और अधिशाषी अभियंता शिवप्रकाश पांडेय द्वारा की गई, जबकि इसका सौजन्य बघौड़ा के निवासी मुन्ना महाराज का बताया गया है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह निर्माण कार्य उस क्षेत्र में कराया गया है जहां ना तो कोई बस्ती है और ना ही कोई घर। यह खड़ंजा विंदेश्वरी के खेत से महेश्वरी के खेत की ओर बनाया गया है, जो साफ तौर पर सजातीय लोगों को निजी स्वार्थ के लिए लाभ पहुंचाने की एक कोशिश है।

इसके अलावा, निर्माण कार्य की गुणवत्ता में भारी अनियमितताएं देखने को मिली हैं। सरकारी निर्देशों की अनदेखी करते हुए घटिया सामग्री का उपयोग किया गया, जिससे इस खड़ंजा का टिकाऊपन संदेहास्पद हो गया है। इतना ही नहीं, परियोजना में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की बात भी सामने आ रही है, जहां जिम्मेदार अधिकारियों ने जांच के नाम पर लीपापोती कर अपने दायित्वों से बचने की कोशिश की है।

सरकार गांवों के विकास के लिए लाखों रुपये की धनराशि स्वीकृत कर रही है, लेकिन यह धन निजी स्वार्थ और भ्रष्टाचार के चलते व्यर्थ जा रहा है। यह घटना एक बार फिर सरकारी धन के बेजा इस्तेमाल और भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें उजागर करती है।

अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेता है और इंटरलॉकिंग खड़ंजा के निर्माण में हुई अनियमितताओं की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करता है या फिर इस तरह के भ्रष्टाचार का खेल यूं ही चलता रहेगा। यह एक गंभीर प्रश्न है, जिसका जवाब जनता और प्रशासन को मिलकर तलाशना होगा।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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