📝 चित्रकूट के मानिकपुर क्षेत्र में सोलर प्लांट निर्माण के चलते सार्वजनिक सड़क और नहर को बाधित कर दिया गया है, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। जानिए पूरा मामला और प्रशासन की प्रतिक्रिया।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट(मानिकपुर): ग्राम पंचायत पवांरी मदना में श्री सीमेंट ईस्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्माणाधीन सोलर प्लांट अब विवाद का कारण बन गया है। प्लांट निर्माण के लिए मदना अगरहुंडा संपर्क मार्ग से ग्राम पंचायत चरदहा जाने वाले लगभग 950 मीटर लंबे डब्ल्यू बी एम (WBM) सड़क मार्ग को बाधित कर दिया गया है। यह मार्ग वित्तीय वर्ष 2005-06 में जिला पंचायत द्वारा निर्मित कराया गया था।
ग्रामीणों का फूटा ग़ुस्सा, सार्वजनिक सुविधाएं हो रहीं बाधित
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण कार्य के दौरान न केवल सार्वजनिक सड़क को खत्म किया जा रहा है, बल्कि ओहन नहर से चरदहा तक जाने वाली नगर को भी क्षतिग्रस्त किया गया है। इससे सिंचाई व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि ग्राम सभा की भूमि पर भी सोलर प्लांट निर्माता द्वारा अवैध कब्जा कर लिया गया है।
मानकविहीन निर्माण और संदिग्ध भूमिकाएं
ग्रामीणों के अनुसार, प्लांट की बाउंड्री के किनारे वैकल्पिक मार्ग का निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन यह कार्य पूर्णतः मानकविहीन है। उन्होंने बताया कि ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य में जमकर लीपापोती की जा रही है।
इसके अलावा, क्षेत्र पंचायत द्वारा नए मार्ग पर इंटरलॉकिंग खड़ंजा निर्माण कार्य भी शुरू कराया गया है, जिसे लेकर ब्लॉक प्रमुख की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में ब्लॉक प्रमुख द्वारा सार्वजनिक रास्ते के पक्ष में विरोध किया गया था, लेकिन बाद में उन्होंने रुख बदल लिया और नया निर्माण कार्य शुरू करवा दिया गया।
जिला प्रशासन ने जताई सख्ती, मांगी रिपोर्ट
इस गंभीर मामले पर जब अपर मुख्य अधिकारी एवं अध्यक्ष जिला पंचायत से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा,
“सार्वजनिक रास्ते को कोई कैसे बाधित कर सकता है? यदि कोई ऐसा कर रहा है तो जांच कराकर सख्त कार्यवाही की जाएगी।”
‘चलो गांव की ओर’ संस्था ने लिया संज्ञान
जैसे ही यह जानकारी मिली, ‘जीत आपकी, चलो गांव की ओर’ अभियान के संस्थापक अध्यक्ष संजय सिंह राणा मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों से विस्तृत जानकारी प्राप्त की। उन्होंने आश्वासन दिया कि,
“सोलर प्लांट निर्माता द्वारा की जा रही मनमानी की शिकायत शासन-प्रशासन तक पहुंचाई जाएगी और जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की जाएगी।”
अब सबसे बड़ा सवाल…
अब सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन सोलर प्लांट निर्माणकर्ताओं की मनमानी पर रोक लगा पाएगा? या फिर सरकारी सहयोग से सार्वजनिक सुविधाएं खत्म होती रहेंगी?
आने वाले समय में यह देखना बेहद अहम होगा कि क्या जनता की आवाज़ सुनी जाएगी, या फिर निजी कंपनियों के हितों को प्राथमिकता दी जाती रहेगी।