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23 January 2025 4:46 am

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कहीं गोबर में घोटाला, कहीं सड़क निर्माण में, हद पार कर रहा फर्जीवाड़ा.. पूरी खबर पढकर आप भी यही कहेंगे

53 पाठकों ने अब तक पढा

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट का पाठा क्षेत्र उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि, विकास के मामले में यह क्षेत्र अभी भी पिछड़ा हुआ माना जाता है। सरकारी योजनाओं के बावजूद, यहां के निवासियों को बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है।

इस रिपोर्ट में हम विकास कार्यों की वर्तमान स्थिति, सरकारी अधिकारियों और स्थानीय लोगों के बीच समन्वय, और विकास परियोजनाओं में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की विस्तृत चर्चा करेंगे।

कर्वी, चित्रकूट उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण नगर है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से प्रसिद्ध है। हालांकि, विकास कार्यों में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार के आरोपों ने इस क्षेत्र की प्रगति में बाधा डाली है।

मनरेगा योजना में फर्जीवाड़ा

मानिकपुर प्रखण्ड के ग्राम रुकमा बुजुर्ग में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत फर्जी जॉब कार्ड बनाकर सरकारी धन का गबन किया गया। ग्राम प्रधान और सचिव की मिलीभगत से उन श्रमिकों के नाम पर भुगतान किया गया जो वास्तव में कार्यरत नहीं थे या गांव में मौजूद नहीं थे। ग्रामीणों ने इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी से की, जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए। जांच के नाम पर अधिकारी गए तो जरूर लेकिन मामले को लीप पोत कर छोड़ गए।

उपखनिज रॉयल्टी घोटाला

चित्रकूट में लगभग पांच वर्षों से उपखनिजों की रॉयल्टी में करोड़ों रुपये की चोरी का मामला सामने आया है। कर्वी, मानिकपुर, मऊ, रामनगर, और पहाड़ी खंड विकास अधिकारियों द्वारा नियमों का उल्लंघन करते हुए रॉयल्टी घोटाला किया गया, जिससे सरकारी धन का बड़ा नुकसान हुआ।

गोबर घोटाला

चित्रकूट नगर पालिका परिषद कर्वी में ‘गोबर घोटाला’ नामक एक अनोखा मामला प्रकाश में आया है। इस घोटाले में नगर पालिका के अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने गोबर की खरीद और निपटान के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया। यह मामला चर्चा का विषय बना और स्थानीय मीडिया ने इसे प्रमुखता से उठाया।

चित्रकूट नगर पालिका परिषद कर्वी में ‘गोबर घोटाला’ एक अनोखा और चिंताजनक मामला है, जो सरकारी धन के दुरुपयोग और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है। इस घोटाले में नगर पालिका के अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने गोबर की खरीद और निपटान के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस घोटाले में अधिकारियों ने गोबर की खरीद के लिए फर्जी बिल बनाए और धनराशि का गबन किया। यह मामला चर्चा का विषय बना और स्थानीय मीडिया ने इसे प्रमुखता से उठाया। (चित्रकूट नगर पालिका परिषद कर्वी में ‘गोबर घोटाला’ के संबंध में, उपलब्ध स्रोतों में घोटाले की सटीक राशि का उल्लेख नहीं किया गया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नगर पालिका के अधिकारियों पर गोबर की खरीद और निपटान के नाम पर सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं, लेकिन इस दुरुपयोग की कुल धनराशि के बारे में विस्तृत जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। अधिक सटीक जानकारी के लिए, संबंधित सरकारी विभागों या जांच एजेंसियों की आधिकारिक रिपोर्टों की प्रतीक्षा करनी होगी।)

घोटाले का विवरण

फर्जी बिलिंग: नगर पालिका के अधिकारियों ने गोबर की खरीद के लिए फर्जी बिल तैयार किए, जिनमें वास्तविकता में कोई खरीद नहीं हुई थी। इन बिलों के माध्यम से सरकारी धन का गबन किया गया।

धन का दुरुपयोग 

गोबर के निपटान और प्रबंधन के नाम पर आवंटित धनराशि का उपयोग निजी लाभ के लिए किया गया, जिससे सरकारी कोष को नुकसान पहुंचा।

प्रभाव और प्रतिक्रिया

इस घोटाले के प्रकाश में आने के बाद, स्थानीय जनता और सामाजिक संगठनों में आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इसके अतिरिक्त, इस घटना ने सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर किया है।

‘गोबर घोटाला’ एक गंभीर मामला है, जो सरकारी धन के दुरुपयोग और प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। आवश्यक है कि उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे।

विकास कार्यों में अनियमितताएं

मानिकपुर विकासखंड में क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत के अंतर्गत हो रहे अधिकांश निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। निर्माण कार्यों में मानकों की अनदेखी और धन के दुरुपयोग की शिकायतें सामने आई हैं, जिससे विकास कार्यों की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगा है।

मनरेगा में सीबीआई जांच

बुंदेलखंड क्षेत्र में मनरेगा योजना के तहत हुए घोटालों की गंभीरता को देखते हुए, सीबीआई ने जांच शुरू की है। चित्रकूट जिले में 1.85 करोड़ रुपये की लागत से 21 तालाबों का निर्माण होना था, जिसके लिए 1.56 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश सहकारी निर्माण विकास लिमिटेड कर्वी को दिए गए। हालांकि, कार्य की गुणवत्ता और धन के उपयोग में अनियमितताएं पाई गईं।

कर्वी, चित्रकूट में विकास कार्यों के नाम पर हुए उपरोक्त घोटाले यह दर्शाते हैं कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है। स्थानीय प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को चाहिए कि वे इन मामलों की निष्पक्ष जांच करें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और क्षेत्र का समुचित विकास हो सके।

जल जीवन मिशन की असफलता

सरकार द्वारा ‘हर घर नल से जल’ योजना के तहत पाइपलाइन बिछाने का कार्य शुरू किया गया था। हालांकि, पाइपलाइन बिछाने के बाद सड़कों और गलियों की मरम्मत नहीं की गई, जिससे बारिश के मौसम में ये रास्ते दलदल में बदल गए। ग्रामीणों को न तो स्वच्छ जल मिला और न ही सुरक्षित मार्ग।

सड़क निर्माण में अनियमितताएं

सिंचाई विभाग द्वारा मऊ में सड़कों के निर्माण में मानकों की अनदेखी की गई। तीन लेयर गिट्टी, एमल्शन, टैगकोट, पीसी और सीलकोट का सही तरीके से उपयोग नहीं किया गया, जिससे सड़कों की गुणवत्ता पर सवाल उठे। स्थानीय लोगों ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

सरकारी अधिकारियों और स्थानीय लोगों के बीच समन्वय

विकास कार्यों में सरकारी अधिकारियों और स्थानीय निवासियों के बीच समन्वय की कमी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। पाइपलाइन बिछाने के बाद सड़कों की मरम्मत न होने से ग्रामीणों को आवागमन में कठिनाई हो रही है। स्थानीय लोगों की शिकायतों के बावजूद, संबंधित अधिकारियों द्वारा उचित कार्रवाई नहीं की गई, जिससे जनता में असंतोष बढ़ा है।

ग्राम पंचायतों में धनराशि की धांधली चित्रकूट में ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों के लिए आई धनराशि में बड़े पैमाने पर धांधली की गई। इस मामले में कई अधिकारियों को निलंबित किया गया है। 22 ग्राम पंचायतों के खातों पर रोक लगाई गई है, और 18 सचिवों के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई है।

पर्यटन अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप

मानिकपुर ब्लॉक प्रमुख अरविंद मिश्रा ने चित्रकूट के पर्यटन अधिकारी अनुपम श्रीवास्तव पर वाल्मीकि आश्रम में महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति निर्माण में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। करीब 20 लाख रुपये की लागत से बनी मूर्ति में कुछ ही दिनों में दरारें आ गईं, जिससे निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं।

विकास कार्यों के भुगतान में फ्रॉड

बुंदेलखंड में विकास कार्यों के भुगतान में 47.06 करोड़ रुपये की गड़बड़ी उजागर हुई है। झांसी मंडल में 42.41 करोड़ और चित्रकूट मंडल में 4.65 करोड़ रुपये की अनियमितताएं पाई गई हैं। यह अनियमितताएं गलत टेंडर प्रक्रिया, विशेष फर्मों को लाभ पहुंचाने, और बिना सत्यापन के भुगतान करने से संबंधित हैं।

चित्रकूट के पाठा क्षेत्र में विकास कार्यों की स्थिति चिंताजनक है। सरकारी योजनाओं के बावजूद, बुनियादी सुविधाओं की कमी और भ्रष्टाचार के मामलों ने विकास की गति को बाधित किया है। सरकारी अधिकारियों और स्थानीय निवासियों के बीच समन्वय की कमी, और विकास कार्यों में पारदर्शिता की अनुपस्थिति ने जनता के विश्वास को कम किया है।

आवश्यक है कि सरकार और संबंधित अधिकारी इन मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान दें, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, और विकास कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करें, ताकि क्षेत्र का समग्र विकास संभव हो सके।

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