फिजी में भारत के उप उच्चायुक्त नीलेश रोनिल कुमार अपने पूर्वजों की खोज में गोंडा के मनकापुर स्थित गांव पहुंचे। गांव के परिजनों से मिलकर हुए भावुक, साथ में पत्नी और बच्चों ने भी की पूजा-अर्चना।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
मनकापुर(गोंडा)। भारत में फिजी दूतावास के उप उच्चायुक्त नीलेश रोनिल कुमार बुधवार को अपने पूर्वजों की खोज में गोंडा जिले के मनकापुर क्षेत्र स्थित उपाध्यायपुर ग्रंट गांव पहुंचे। यहां उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों से मिलकर गहरी खुशी और भावुकता व्यक्त की। इस अवसर पर उनके साथ उनकी पत्नी अंजना रेड्डी और बेटे मयंक व प्रणव भी मौजूद थे।
दरअसल, ग्राम अगया दतौली निवासी सुकई चौहान को अंग्रेज हुकूमत ने सन 1908 में जबरन फिजी ले जाया था। ग्रामीणों के अनुसार, सुकई के भाई रतन अंग्रेजों से बचने के लिए जंगलों में छिप गए थे और बाद में उन्होंने उपाध्यायपुर ग्रंट के बलुवा गांव में अपना निवास स्थापित किया।
वहीं, सुकई की पांचवीं पीढ़ी से संबंधित नीलेश रोनिल कुमार, फिजी में जन्मे और पले-बढ़े। वे वर्तमान में पिछले सात वर्षों से भारत में फिजी दूतावास में उप उच्चायुक्त के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें भारतीय दूतावास की ओर से प्राप्त इमीग्रेशन पास के माध्यम से अपने पूर्वजों के गांव की जानकारी प्राप्त हुई थी।
जैसे ही उन्हें इस ऐतिहासिक कड़ी का पता चला, उन्होंने भारत दौरे के दौरान अपने परिवार के साथ गांव का दौरा किया। गांव पहुंचने पर उन्होंने अपने चचेरे परदादा हरीराम से भेंट की। परिवार से मिलकर वे भावुक हो उठे और गांव के प्राचीन मंदिर में पूजा-अर्चना भी की। परिजनों ने उन्हें स्मृति स्वरूप उपहार भेंट किए, जिससे यह क्षण और भी विशेष बन गया।
नीलेश रोनिल कुमार की यह यात्रा न केवल एक भावनात्मक मिलन थी, बल्कि भारत और फिजी के ऐतिहासिक संबंधों की एक सजीव झलक भी प्रस्तुत करती है।