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वाराणसी

काशी से RSS की ऐतिहासिक पहल: 125 कन्याओं का सामूहिक विवाह, भागवत ने पखारे बेटियों के पांव

समरसता की मिसाल : हर वेदी पर अंतरजातीय विवाह और सभी वर्गों के पुजारी

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

काशी | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने बुधवार को अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर काशी से सामाजिक समरसता का बड़ा संदेश दिया। संघ प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति में 125 कन्याओं का सामूहिक विवाह सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की खास बात यह रही कि पहली बार अगड़े, पिछड़े और दलित समाज के दूल्हे एक साथ बारात में शामिल हुए और सभी वर्गों के पुजारियों ने विवाह संस्कार कराए।

पहली बार निकली साझा बारात

शाम चार बजे शंकुलधारा कुंड से निकली इस बारात में दूल्हे घोड़ी, बग्घी और रथ पर सवार होकर पहुंचे। बारात पुनः कुंड पर लौटकर समाप्त हुई, जहां पहले से ही 125 वेदियां तैयार थीं। हर वेदी पर एक जोड़े का विवाह वैदिक रीति से कराया गया।

बेटियों का पांव पखारते दिखे RSS प्रमुख

इस दौरान एक भावुक क्षण तब देखने को मिला जब स्वयं सरसंघचालक मोहन भागवत ने बेटियों के पांव पखारे। कन्यादान की यह प्रक्रिया परंपरागत रीति से सम्पन्न हुई। कन्याओं के पांव पखारने की जिम्मेदारी समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने उठाई।

अंतरजातीय विवाहों को दिया गया बढ़ावा

समारोह में कई अंतरजातीय विवाह भी सम्पन्न हुए। आयोजकों के अनुसार, यह पहल जातिगत भेदभाव को मिटाने और समाज में समानता का संदेश देने के उद्देश्य से की गई है। आयोजक वीरेंद्र जायसवाल ने बताया कि विवाह में सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की गई थी।

सभी वर्गों के पुजारियों ने संपन्न कराए विवाह

समारोह में ब्राह्मणों के साथ-साथ पिछड़े और दलित वर्गों के पुजारियों ने भी विवाह संस्कार कराए। यह पहली बार था जब सामाजिक समरसता को ध्यान में रखते हुए सभी वर्गों के धर्मगुरुओं को साथ लाया गया। यह उन घटनाओं के खिलाफ एक मजबूत संदेश है, जहां दलित दूल्हों को घोड़ी से उतारने की घटनाएं सामने आती रही हैं।

रक्तदान और नेत्रदान के संकल्प भी

समारोह में आए अतिथियों और आगंतुकों ने रक्तदान एवं नेत्रदान का संकल्प भी लिया। इसके लिए संकल्प पत्र भरवाए गए, जिसमें प्रतिभागियों के नाम, उम्र, रक्त समूह और संपर्क विवरण दर्ज किए गए।

एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान’ का संदेश

RSS प्रमुख मोहन भागवत पहले ही कह चुके हैं कि हिंदू समाज को सामाजिक समरसता के लिए ‘एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान’ के सिद्धांत को अपनाना चाहिए। यह आयोजन उसी विचार को साकार करता है। समारोह के अंत में भागवत ने सभी जोड़ों को आशीर्वाद दिया और सभा को संबोधित किया।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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