
पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 26 निर्दोष नागरिकों की याद में देशभर के मुस्लिम समुदायों ने शुक्रवार की नमाज़ के बाद शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। काली पट्टियाँ, राष्ट्रध्वज और एकता का संदेश—जानिए पूरी खबर।
अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
नई दिल्ली/कोलकाता/पटना/हैदराबाद : हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में कम से कम 26 नागरिकों की जान चली गई, जिसमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। इस दिल दहला देने वाली घटना के खिलाफ शुक्रवार की जुम्मा नमाज के बाद पूरे भारत में मुस्लिम समुदायों ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया और आतंकवाद के खिलाफ अपनी स्पष्ट और सशक्त आवाज़ बुलंद की।
सबसे पहले, कोलकाता में लोगों ने काली पट्टियाँ पहनकर हमले की कड़ी निंदा की। एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा,
“देश के मुसलमान पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और हम हमेशा ऐसे कृत्यों की निंदा करते आए हैं।”
इसके अतिरिक्त, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारतीय मुसलमानों से लश्कर-ए-तैयबा को स्पष्ट संदेश देने के लिए काली पट्टियाँ पहनने की अपील की। उन्हें हैदराबाद की शास्त्रीपुरम मस्जिद के बाहर नमाजियों को आर्मबैंड बांटते हुए देखा गया।
उसी दिन शाम को तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में पीपल्स प्लाजा से इंदिरा गांधी प्रतिमा तक एक मोमबत्ती जुलूस निकाला गया, जो हमले के खिलाफ शांति और सहानुभूति का प्रतीक बन गया।
उधर, असम की बराक घाटी में सिलचर की बोरो मस्जिद के बाहर मौन प्रदर्शन हुआ। वहाँ के प्रमुख मौलाना सब्बीर अहमद ने कहा,
“इस्लाम आतंकवाद के विरुद्ध है। हमारा धर्म हमेशा शांति, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है।”
उत्तर प्रदेश के संभल में भी समुदायों ने एकजुट होकर आतंकी हमले की निंदा की। दिल्ली में जामा मस्जिद सहित अनेक इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज लहराकर देशप्रेम का परिचय दिया। साथ ही, सरदार बाजार, चांदनी चौक, जामा मस्जिद जैसे 100 से अधिक बाज़ारों में शुक्रवार को स्वैच्छिक बंद देखा गया।
इसी क्रम में, बिहार की राजधानी पटना में विरोध प्रदर्शन करते एक व्यक्ति ने केंद्र सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की और कहा,
“पूरा देश इस समय एकजुट है। हम प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से अपील करते हैं कि आतंकियों के खिलाफ कड़ा कदम उठाया जाए।”
गौरतलब है कि इस आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम उठाए हैं—जिसमें पाकिस्तान के साथ सभी वीज़ा रद्द करना, 1960 की जल संधि को निलंबित करना और व्यापारिक संबंधों को रोकना शामिल है। इसके अलावा, अन्य राज्यों में रह रहे कश्मीरी मुसलमानों पर लक्षित हमलों में भी वृद्धि देखी गई है, जो एक चिंताजनक संकेत है।
इस हमले के बाद भारत के मुस्लिम समुदायों ने शांति, एकता और देशभक्ति की मिसाल पेश की है। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद का कोई मज़हब नहीं होता और देश का प्रत्येक नागरिक ऐसी बर्बरता के खिलाफ एकजुट है।