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विचार

वक्फ संशोधन 2025 ; बदलाव, विवाद और भविष्य की आशा

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देश की इस्लामी वक्फ संपत्तियों की दशकों पुरानी व्यवस्था अब इतिहास बनने को है। वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया है। लोकसभा में 288 बनाम 232 और राज्यसभा में 128 बनाम 97 मतों से पास हुए इस विधेयक ने जहां सत्ता पक्ष की रणनीति को उजागर किया, वहीं विपक्ष और मुस्लिम संगठनों में जबरदस्त बेचैनी पैदा कर दी है।

क्या है नया कानून?

इस संशोधन के तहत वक्फ संपत्तियों की निगरानी और प्रशासनिक ढांचे में कई अहम बदलाव किए गए हैं:

वक्फ बोर्ड की रचना में बदलाव: अब प्रत्येक बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्यता होगी।

जमीन के मालिकाना हक का निर्धारण: अब वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार वक्फ बोर्ड के बजाय जिला कलेक्टर के पास होगा।

डिजिटलीकरण अनिवार्य: सभी वक्फ संपत्तियों को 6 माह में राष्ट्रीय पोर्टल पर पंजीकृत करना अनिवार्य होगा।

लिमिटेशन एक्ट की छूट खत्म: वक्फ बोर्ड को अतिक्रमण के मामले में 12 साल के भीतर दावा करना होगा।

सरकार का तर्क: ‘उम्मीद’ से होगा विकास

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजीजू ने बताया कि इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता से पासमांदा मुसलमानों, महिलाओं और वंचितों को सशक्त बनाना है। इसीलिए इसका नाम ‘उम्मीद’ (Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency and Development Act) रखा गया है।

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विपक्ष का आरोप: छिपा है राजनीतिक एजेंडा

कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि “2013 के कानून की 80-85% चीजें जस की तस हैं। असल मकसद वक्फ की जमीनों पर उद्योगपतियों के लिए कब्जा कराना है।” वहीं ओवैसी का सवाल था, “अगर हिंदू धर्म ट्रस्ट में कोई गैर-हिंदू नहीं बैठ सकता, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम क्यों?”

सहयोगी दलों में उबाल

विधेयक पर मतदान के बाद एनडीए में दरारें उभरती दिख रही हैं:

बिहार में जदयू के कई नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है।

रालोद में जयंत चौधरी को अपने मुस्लिम समर्थकों से आलोचना झेलनी पड़ रही है।

तेदेपा को आंध्र में मुसलमानों से दूरी की चिंता सता रही है।

मुस्लिम संगठनों का विरोध

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस कानून के खिलाफ 5 करोड़ से अधिक ईमेल भेजकर आपत्ति जताई। मुख्य चिंता उन संपत्तियों को लेकर है जिनके दस्तावेज अधूरे हैं लेकिन धार्मिक रूप से उनका इस्तेमाल होता रहा है।

असदुद्दीन ओवैसी का कहना है, “70-80% वक्फ संपत्तियों के पुख्ता कागजात नहीं हैं। विवाद तो अब शुरू होगा।”

चर्च और अन्य धार्मिक संस्थाएं भी निशाने पर?

संघ के मुखपत्र ‘ऑर्गेनाइज़र’ पर छपे एक लेख में यह दावा किया गया कि चर्च और ईसाई मिशनों के पास वक्फ से भी अधिक जमीन है। इसके बाद राहुल गांधी ने कहा, “अभी मुसलमानों पर निशाना है, आगे ईसाई, सिख, आदिवासी सभी आएंगे।” विवाद बढ़ता देख लेख को हटा लिया गया।

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विरोध का स्वर और कानूनी लड़ाई

कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर हो चुकी हैं। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह कानून अनुच्छेद 25, 26 और 19 का उल्लंघन करता है और संविधान की मूल भावना पर प्रहार करता है।

वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए लोग

आने वाले चुनावों पर असर?

बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में, जहां मुस्लिम वोटबैंक निर्णायक भूमिका निभाता है, इस कानून का असर विधानसभा चुनावों पर दिख सकता है। विपक्ष इसे भाजपा की हिंदुत्ववादी राजनीति के विस्तार का तरीका बता रहा है।

वक्फ संशोधन कानून के पारित होने से देश की सियासत में नई हलचल मच गई है। जहां सरकार इसे ‘सुधारवादी कदम’ बता रही है, वहीं विपक्ष इसे धार्मिक आज़ादी पर हमला मान रहा है। आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा कि ‘उम्मीद’ सिर्फ एक नाम है या एक नई सियासी चाल।

➡️अंजनी कुमार त्रिपाठी की खास रिपोर्ट

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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