ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की। कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका की ब्रीफिंग ने भारत की राष्ट्रीय एकता और धर्मनिरपेक्षता का सशक्त संदेश दिया।
केवल कृष्ण पनगोत्रा
पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर भारत का जवाबी हमला
भारतीय सशस्त्र बलों ने 6-7 मई की रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoK) में 25 मिनट तक ताबड़तोड़ हमले कर नौ आतंकवादी ठिकानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया.
इसके बाद 7 मई को सुबह करीब साढ़े दस बजे ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विदेश सचिव विक्रम मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने अहम जानकारी दी.
ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंग और भारत की छवि
- प्रेस ब्रीफिंग के दौरान विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी ने वीडियो सबूतों के साथ बताया कि कैसे और कहां पर हमला किया गया.
- यह न केवल भारतीय सैन्य कार्रवाई का प्रमाण था बल्कि भारत के सांप्रदायिक सौहार्द और धर्मनिरपेक्षता के चरित्र का भी जीवंत प्रमाण बन गया.
- पहलगाम आतंकी हमला और मज़हबी नफ़रत फैलाने की साज़िश
22 अप्रैल को पाकिस्तान की शह पर जम्मू-कश्मीर स्थित पहलगाम में आतंकवादियों ने धर्म पूछ कर पर्यटकों को निशाना बनाया. यह हरकत पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों की एक सोची-समझी साज़िश थी, जो भारत में हिंदू-मुस्लिम के बीच नफ़रत भड़काने की नीयत से की गई थी.
हालांकि, इस घटना का नकारात्मक असर भारत में दिखा और मज़हबी नफ़रत का पारा चढ़ने लगा. जिनकी समझ कमजोर होती है, उन्हें ऐसी खुराफ़ातों की गहराई बहुत देर से समझ आती है — या कई बार आती ही नहीं.
क़ौमी एकता का प्रतीक: सोफिया और व्योमिका की भूमिका
फिर भी यह भारत के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की दूरदर्शिता और सामाजिक समझ का परिणाम है कि प्रेस ब्रीफिंग के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को सामने लाया गया.
इन दोनों महिला अधिकारियों की मौजूदगी ने न सिर्फ भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत को दर्शाया, बल्कि दुनिया को यह भी बताया कि भारत वास्तव में “यूनिटी इन डायवर्सिटी” का जीवंत उदाहरण है.
हिमांशी नरवाल: पीड़ा में भी एकता का संदेश
भारत की सांप्रदायिक एकता का संदेश पहलगाम में शहीद हुए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल भी दे रही थीं.
1 मई को हिमांशी ने कहा था –
“घटना के बाद जिस तरह से मुस्लिम और कश्मीरियों के खिलाफ बोला जा रहा है, वह नहीं होना चाहिए. हमें न्याय चाहिए, लेकिन नफ़रत नहीं.”
हिमांशी समझ चुकी थीं कि आतंकवाद का असली चेहरा मज़हबी नफ़रत है — और कश्मीरी पंडितों का निष्कासन भी उसी का हिस्सा रहा है.
ट्रोलिंग, समर्थन और सच्चाई की आवाज़
हिमांशी के इस बयान के बाद उन्हें ऑनलाइन ट्रोलिंग, गालियाँ और धमकियाँ मिलीं. लेकिन जब ज़हर फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ आवाज़ उठी, तो उनके समर्थन में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सामने आए.
ओवैसी ने कहा
“आतंकवादियों ने हमारी बेटी हिमांशी की ज़िंदगी तबाह कर दी, और फिर भी, उसने कहा कि इससे मुसलमानों या कश्मीरियों के प्रति नफ़रत नहीं होनी चाहिए. सरकार को यह बात याद रखनी चाहिए.”
NCW ने भी स्पष्ट किया:
“किसी महिला को उसकी अभिव्यक्ति के कारण ट्रोल करना, उसका निजी जीवन आधार बनाकर हमला करना, बिल्कुल अस्वीकार्य है.”
ऑपरेशन सिंदूर और भारत की असली ताक़त
मैं अपनी बात को इन लफ्ज़ों के साथ समाप्त करना चाहूंगा:
ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई प्रेस ब्रीफिंग में कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने केवल पाकिस्तान और POK में आतंकी फैक्ट्रियों को ध्वस्त करने के सबूत ही नहीं दिए, बल्कि दुनिया और खासकर पाकिस्तान को एक बार फिर भारत की क़ौमी एकता की पहचान भी करवा दी।
