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विशेष संपादकीय

सिंदूर मिटाया था, अब ज़मीन से मिटा दिए गए आतंकी ; मोदी का संदेश साफ़ – अब सिर्फ़ बदला नहीं, सफाया होगा

ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के विरुद्ध निर्णायक प्रहार और राष्ट्रीय एकता की पुकार

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भारत के सैन्य ऑपरेशन ‘सिंदूर’ ने पहलगाम आतंकी हमले का करारा जवाब देते हुए पाकिस्तान में छिपे 100 से अधिक आतंकियों को खत्म किया। यह लेख राष्ट्रीय सुरक्षा, प्रतिशोध और भारत की सैन्य शक्ति का विश्लेषण करता है।

➡️मोहन द्विवेदी

हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को दहला कर रख दिया। इस अमानवीय घटना में 26 निर्दोष पर्यटक आतंकियों की नृशंसता के शिकार बने। नवविवाहित जोड़ों की खुशियां मातम में बदल गईं, और सुहाग की मेहंदी के रंग खून से धुल गए। यह हमला न केवल एक जघन्य अपराध था, बल्कि मानवता के विरुद्ध सीधा युद्ध था।

लेकिन इस बार भारत चुप नहीं बैठा। हमारे वीर सैनिकों ने 6-7 मई की रात महज 25 मिनट के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में आतंकवाद के ठिकानों पर ऐसा सटीक और निर्णायक प्रहार किया, जिसे इतिहास याद रखेगा। रात 1:05 से 1:30 के बीच की यह सैन्य कार्रवाई केवल एक बदले की कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध एक सशक्त और योजनाबद्ध संदेश थी।

सटीक लक्ष्य, संकल्प की मिसाल

सर्जिकल और एयर स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान के भीतर लगभग 100 किलोमीटर तक घुसकर 9 प्रमुख आतंकी अड्डों को ध्वस्त किया गया। लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के मुख्यालयों को निशाना बनाकर नेस्तनाबूद किया गया। इस कार्रवाई में मसूद अजहर के परिजन समेत जैश के शीर्ष नेतृत्व का अंत कर दिया गया।

इस ऑपरेशन की सफलता इस बात का प्रमाण है कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं करता, बल्कि ठोस और निर्णायक कार्रवाई के लिए तत्पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम देना प्रतीकात्मक रूप से स्पष्ट करता है कि यह उन बेटियों के सिंदूर की रक्षा के लिए किया गया, जिन्हें आतंकियों ने पहलगाम में निशाना बनाया।

पाकिस्तानी हुकूमत की खामोशी

चौंकाने वाली बात यह रही कि पाकिस्तान की सेना और खुफिया तंत्र को इस ऑपरेशन की भनक तक नहीं लगी। देश का ‘डिफेंस सिस्टम’ पूरी तरह विफल साबित हुआ। इसके विपरीत भारत की खुफिया जानकारी, योजना और क्रियान्वयन ने इस पूरे ऑपरेशन को एक आदर्श उदाहरण बना दिया।

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आपातकाल की घोषणा, 31 आतंकियों की आधिकारिक मृत्यु स्वीकारना और मृतकों के लिए ताबूतों में लिपटी पाकिस्तानी झंडे की सलामी – यह सब पाकिस्तान की आतंकी मानसिकता और राजनीतिक पाखंड को उजागर करता है। आतंकियों को ‘राजकीय सम्मान’ देने से स्पष्ट है कि पाकिस्तान आतंकवाद को संरक्षण दे रहा है।

एकजुटता की आवश्यकता

ऐसे समय में जब भारत ने आतंक के खिलाफ निर्णायक मोर्चा संभाला है, सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों को एकजुट होकर राष्ट्रहित में आवाज बुलंद करनी चाहिए। यह समय राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर एक साझा रणनीति तैयार करने का है।

भारत को अब स्पष्ट रूप से पाकिस्तान को ‘आतंकी देश’ और ‘शत्रु राष्ट्र’ घोषित करना चाहिए। इसके साथ ही एक दीर्घकालिक और स्पष्ट राष्ट्रीय आतंकवाद नीति की आवश्यकता है, जिससे ऐसी कार्रवाइयों का सिलसिला सुनिश्चित किया जा सके।

युद्ध की आशंका और तैयारी

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस ऑपरेशन से पाकिस्तान की सेना और राजनीतिक नेतृत्व को मानसिक झटका लगा है। हालांकि पाकिस्तान की ओर से पलटवार की संभावना बनी हुई है। इसी कारण हमारी सेनाएं और अर्धसैनिक बल ‘सुपर अलर्ट’ की स्थिति में हैं, और कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की सैन्य शक्ति, संकल्प और रणनीतिक गहराई का जीवंत प्रमाण है। यह केवल आतंकवादियों का खात्मा नहीं, बल्कि उस मानसिकता का दमन है जो मानवता की हत्या करती है। अब समय आ गया है कि हम आतंक के हर ‘बिल’ को नेस्तनाबूद करें, और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी दरिंदा हमारी बहू-बेटियों के सिंदूर को चुनौती देने का दुस्साहस न कर सके।

मोहन द्विवेदी की तस्वीर
– –मोहन द्विवेदी

जय हिंद।

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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